Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 90
________________ व्यक्तित्व - विकास की मौलिक संभावनाएँ जीवन - विकास का सम्बन्ध व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास से है । जीवन का उदात्त स्वरूप ही उसका व्यक्तित्व है । जिस व्यक्ति का अपना कोई व्यक्तित्व नहीं होता, निश्चित रूप से उसके जीवन की कोई पहचान नहीं बन पाती है। व्यक्तित्व जीवन की प्रभावी अभिव्यक्ति है। व्यक्तित्व के निर्माण और विकास के लिए जीवन के आन्तरिक और बाह्य पहलू के बीच गत्यात्मक समन्वय स्थापित करना होता है । यद्यपि व्यक्तित्व का स्तर बाह्य गुणों के द्वारा आंका जाता है, किन्तु व्यक्तित्व जीवन की मात्र बाह्य अभिव्यक्ति नहीं है, अपितु उसका अन्तर्जगत् भी उसका प्रमुख हिस्सा है। मनुष्य केवल शरीर या मन नहीं है। वह मन और शरीर का संगठन है। आन्तरिक और बाह्य संगठन के कारण ही व्यक्ति को 'मन: शारीरिक प्राणी कहा जाता है । व्यक्तित्व विकास के लिए शारीरिक, गत्यात्मक, संवेगात्मक, मानसिक, सामाजिक, चारित्रिक, नैतिक आदि विभिन्न पहलुओं का समग्र व्यक्तित्व विकास की मौलिक संभावनाएँ ८३ Jain Education International - For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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