Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 86
________________ S थार्मिक मूल्यों का व्यक्तित्व-निर्माण से सम्बन्ध __ मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था जीवन में नैतिकता का विकास है। चाहे नैतिकता हो या धार्मिकता, यह जन्मजात गुण न होकर समाज और वातावरण से उपार्जित श्रेष्ठ मूल्य है। विश्वसनीयता, चरित्रशीलता, कर्मठता, कार्यदृढ़ता, प्रसन्नता और आशावादिता नैतिकता के प्रगतिशील चरण हैं। यद्यपि ये नैतिक तथ्य धर्म की व्यावहारिक अभिव्यक्तियाँ हैं, किन्तु जीवन में धार्मिक विकास का सम्बन्ध उस विकास से है जिसमें व्यक्तिका आत्मा-परमात्मा, स्वर्ग-नरक, पाप-पुण्य, देवी-देवता, पूजापाठ आदि के प्रति विश्वास होता है। इनके अलावा धैर्य, क्षमा, इच्छादमन, इन्द्रिय-विजय, सत्य, अचौर्य आदि सद्गुणों का विकास भी धार्मिक विकास कहलाता है। नैतिकता चरित्रशीलता के प्रति आस्था है। चरित्र-विकास की शुरूआत तो जीवन के शैशवकालसेही हो जाती है, परन्तुधार्मिक विकास के लिए बालक का कम-से-कम दो वर्ष का होना जरूरी है। यद्यपि धार्मिक मूल्यों का व्यक्तित्व-निर्माण से सम्बन्ध ---- ----७९ - - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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