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लिए अभिभावकों या गुरुजनों के सुझाव ही सबसे ज्यादा कारगर साबित होते हैं।
मानवीय मूल्य आज भी जीवित हैं क्योंकि इन मूल्यों की प्रेरणा हर कौम, हर तबके में प्रतिष्ठित है । व्यक्ति की मित्र - मण्डली ही उसका परामर्शमण्डल है। उसे जैसे परामर्श और सुझाव प्राप्त होते हैं, वह उनसे प्रभावित होकर उन्हें स्वीकार भी करता है। गलत सुझाव व्यक्ति को गलत मार्ग की ओर ले जाते हैं और अच्छे सुझाव अच्छे मार्ग की ओर । दुनिया में बुरे लोगों की कमी नहीं है तो अच्छे लोगों की भी कमी नहीं है। एक ओर जहाँ मानवीय जीवन में क्रूरता, नृशसता और बर्बरता का बेखौफ नृत्य हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर करुणा, सहृदयता व नि:स्वार्थ सेवा के उदाहरण भी भरपूर मौजूद हैं।
आखिर मानवीय मूल्यों की इस ऊठापटक का कारण क्या है? जवाब है - उसकी प्रेरकवृत्ति का गलत होना या उसे वातावरण से गलत सुझाव प्राप्त होना। हर परिवार चाहता है कि उसका हर सदस्य नैतिक, अनुशासित और यशस्वी हो । निश्चित तौर पर उसकी यह अपेक्षा आवश्यक और सार्थक है परन्तु व्यक्ति को सार्थकता तब तक उपलब्ध नहीं होती, जब तक वह उसके लिए सार्थक प्रयास नहीं करता। शायद ही कोई माता-पिता ऐसे हों जो अपने बच्चे का भविष्य खतरे में डालना चाहते हों। इसलिए बच्चों को भी चाहिए कि वे अपने माता-पिता के सुझावों को स्वीकार करें, उनका आचरण करें।
सुझावों को मानने से न केवल बच्चा नये वातावरण के साथ समायोजन स्थापित करने में सहयोग प्राप्त करता है, बल्कि उसे मानसिक, सामाजिक और चारित्रिक विकास में भी मदद मिलती है। सुझाव को स्वीकार करना वास्तव में मनोवैज्ञानिक दृष्टि से मानसिक प्रक्रिया है । यही कारण है कि एक व्यक्ति दूसरे के विचारों को अतार्किक होते हुए भी विश्वास के साथ स्वीकार कर लेता है। यह प्रक्रिया वास्तव में एक सन्देशात्मक प्रतिक्रिया है ।
सुझाव दीजिए प्रेमपूर्वक
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