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सुझाव परिस्थितियों के अनुकूल होना चाहिए। ऐसा सुझाव कभी भी हितकारी नहीं हो सकता जो व्यक्तिको उद्विग्न या विकृत करे।थकावट या भय की अवस्था में सुझाव हमेशा समझपूर्वक होना चाहिए। भावावेश में दिया गया या स्वीकार किया गया सुझाव कई बार घातक सिद्ध हो जाता है।
चाहे कोई बड़ा हो या बच्चा, हर किसी में सुझाव प्राप्त करने की प्रवृत्ति या क्षमता होती है। वे अपने मार्ग-दर्शक शिक्षकों की बातों को ध्यान से सुनते हैं, इसलिए ऐसी कोई बात नहीं की जानी चाहिए जो उसके लिए अनर्गल साबित हो। बच्चों को चाहिए कि वे सुझावों का सम्मान करें क्योंकि सुझावों के कारण ही वे नये विचारों एवं समाधानों से परिचित होते हैं। शिक्षकों एवं अभिभावकों को चाहिए कि वे ऐसा आदर्श वातावरण बनाए रखें जिससे उनके सुझावों को स्वीकार करने के लिए बच्चे सदा उत्सुक और प्रेरित रहें।
नकारात्मक सुझावों के बजाय विधेयात्मक सुझाव ही ज्यादा मनोवैज्ञानिक होते हैं। प्रेम और सहानुभूति के साथ दिया गया सुझाव हर व्यक्ति के लिए स्वीकार्य होता है। जैसे–मान लीजिए बच्चा जरूरत से ज्यादा चॉकलेट खाता है। आप उसे डाँटिये मत। उसे बताइये कि चॉकलेट में अमुक दोष है। ज्यादा खाने से दाँत खराब होंगे और पेट में कीड़े पड़ जाएँगे। आप प्रेमपूर्वक सुझाव दीजिए, बच्चाआदरपूर्वक स्वीकार करेगा। ___ सम्भव है, बच्चा जिद्दी हो, गुस्सा करता हो, या उसकी अन्य कोई गलत आदत पड़ चुकी हो। सीधा निर्देश देने की बजाय उसे प्यार से, सहानुभूति से समझाएँ कि क्या भला है, क्या बुरा है। जमाना बच्चों का है, कम्प्यूटर का जमाना है, सही बात को, सही प्रेरणा को वह सीधे ग्रहण कर लेता है। तार्किकता आज के युग की विशेषता है। आप अपने सुझाव इस तरह दें कि उसमें तर्क हो, दमन या दबाव न हो, आपकी बात सहज दिल को छूने वाली हो, आप पाएंगे आपके सुझाव किसी आदर्श प्रेरणा का काम कर रहे हैं।
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सुझाव दीजिए प्रेमपूर्वक
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