Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 71
________________ कुछ सुझाव तो ऐसे होते हैं जो हमारे मस्तिष्क में अपने आप पैदा होते हैं। ऐसे सुझावों को हम आत्म-प्रेरित सुझाव कहेंगे । मस्तिष्क के ज्ञान-तन्तुओं में ऐसे आत्म-प्रेरित सुझाव उत्पन्न हुआ करते हैं जो हमारे अचेतन मन में निवास कर उन्हें प्रभावित करते हैं । दूसरे प्रकार के सुझाव व्यक्ति को माता-पिता, गुरुजन या अन्य किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति से प्राप्त होते हैं। इन सुझावों का पालन हर व्यक्ति प्राय: कर ही लेता है। प्रधानाचार्य द्वारा दिया गया सुझाव बच्चा अनिवार्यत: पालता है । कभी-कभी व्यक्ति को समूह या समाज - विशेष द्वारा भी सुझाव प्राप्त होते हैं। जब कोई व्यक्ति सुझाव के विपरीत कार्य करता है तो उसे सुझावों का प्रतिषेध करने के कारण दण्डित भी किया जाता है । प्रभावपूर्ण सुझाव देने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दों को समझना जरूरी है । सुझाव देते समय हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि सुझाव हमेशा अपने से कम उम्र वाले को देना चाहिए। बड़ों को दिया गया सुझाव, हो सकता है, उन्हें बुरा लगे । वे उसे हमारा सुझाव न समझकर कहीं उपदेश न मान बैठें। उल्टा वे हमें ही कहेंगे, 'छोटा मुँह, बड़ी बात ।' अगर बड़ों को सुझाव देने की नौबत आए तो उन्हें निवेदन की भाषा में सुझाव देना चाहिए । सुझाव हमेशा विश्वासपूर्ण स्वर में दिया जाना चाहिए ताकि उसका उस पर किसी प्रकार का तर्क या अविश्वास उत्पन्न न हो । सुझाव उसी को देना चाहिए जो ज्ञान की दृष्टि से खुद से कमजोर हो । बड़ी प्रसिद्ध लोकोक्ति है- 'सीख उसी को दीजिए, जिसको सीख सुहाय ।' सीख या सुझाव हमेशा दूसरों को सुधारने के लिए दिया जाता है। ऐसे-वैसे को यदि सुझाव देने लग गए तो हमारा सुझाव हमारे लिए ही महँगा पड़ जाएगा। हमें लेने के देने पड़ जाएँगे। बन्दर - प्रकृति के लोगों को दिया गया सुझाव बया के लिए आत्मघातक ही सिद्ध होता है । हमें अपनी शान्ति के घोंसले से हाथ धोना पड़ता है। इसलिए सुझाव देते समय यह जरूरी है कि उस पर हमारा अधिकार या मैत्री - सम्बन्ध हो । ६४ Jain Education International कैसे करें व्यक्तित्व - विकास For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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