Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 16
________________ pap 101010100 401010101010 बालक : जन्म, विकास और समायोजन जीवन के निर्माण की बहुत बड़ी संभावना गर्भस्थ शिशुया जन्मकाल में ही साकार हो जाती है। मनुष्य तो मात्र जीवन का एक विस्तार है। उसका मूल उर्वीकरण तो माता के गर्भ में ही होता है। इसलिए माँ के संवेगात्मक व्यवहारों का असर बच्चे पर पड़े, यह स्वाभाविक है। ____ मनुष्य के मूल शरीर और शरीर से जुड़े समस्त अंगों का निर्माण तो माँ के गर्भ में ही होता है। जन्मसे पूर्व माँ के गर्भ में किसी के जुड़वे हाथ या पाँव हो सकते हैं। आँख दो की बजाए तीन-चार हो सकती हैं। मस्तक की भी कोई अन्य संभावना स्वीकार की जा सकती है। पर गर्भ से बाहर निकलने के बाद किसी अंग-विशेष का निर्माण नहीं किया जा सकता। शल्यचिकित्साशरीर के किसी अंगका व्यवच्छेद कर सकती है, उसका निर्माण नहीं। यदि बच्चे में किसी प्रकार की जन्मजात शारीरिक विरूपता आती है तो सबसे पहले यह अध्ययन किया जाता है कि कहीं माता-पिता की बालक : जन्म, विकास और समायोजन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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