Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 47
________________ चाहते हैं। बुरा-भला कहने पर वे रुष्ट हो जाते हैं और उनमें दूसरों के साथ सम्बन्धों के प्रति जुगुप्सा पैदा हो जाती है। कोई उनकी प्रशंसा करे तो वे बड़े प्रसन्न हो उठते हैं। प्रशंसा आत्म-सम्मान का अहसास कराती है। यह आत्म-सम्मान की भावना ही तो अन्य लोगों एवं कार्यों के साथ सम्पर्क जोड़ने के लिए प्रोत्साहन देती है। बालकों के कार्य की थोड़ी-सी भी सराहना या प्रशंसा की जाए तो वे अपने सामर्थ्य के अनुसार न केवल अपने सभी कार्य करने के लिए उत्साहित होते हैं, वरन् दूसरों के लिए भी सहभागिता निभाते हैं। __ अभिभावकों तथा शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों में सहयोग की भावना को विकसित करने के लिए उन बातों से बचें जो उनमें असहयोग की भावना पैदा कर सकती हों। बच्चा अपने किसी भी कार्य में थोड़ी-सी भी सफलता पा ले तो उसकी सराहना की जाए। यह सराहना वास्तव में उसे और अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन देना है। प्रोत्साहन से ही बच्चों में अधिक सक्रियता आती है। सक्रियता की व्यापकता ही वास्तव में उसका सामाजिक विकास है। सामाजिक वातावरण से प्रभावित होकर सामाजिक गुणों को उपार्जित करना हमारे व्यक्तित्व का कर्मयोग है। 000 ४० कैसे करें व्यक्तित्व-विकास Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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