Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 48
________________ . -:. ::512 बौद्धिक विकास के मापदण्ड जीवन की सफलता जीवन की प्रगति पर निर्भर है। प्रगति का सही मापदण्ड तो यह है कि हमारी बौद्धिक क्षमताओं का कितना अधिक विकास हुआ है। बुद्धि हो तो मनुष्य बुद्धिमान प्राणी कहलाता है, बुद्धि अगर बौनी हो तो वही बुद्ध कहलाता है। बुद्धि के विकास के साथ जीवन का विकास होता है और उसकी परिपूर्णता में बुद्धत्व के सुरभित फूल खिलते हैं। मनुष्य के पास बौद्धिक क्षमता ही तो वह मीडिया' है जो व्यक्ति को पशुबनने से बचाता है। मनुष्य, मनुष्य है। वह अपनी प्रकृति की बदनियती में पशु जैसा तो हो सकता है, पर पशु नहीं हो सकता। बुद्धि मनुष्य की सम्पूर्ण गतिविधियों को पशुत्व से ऊपर उठा लेती है। वह व्यक्ति अपने जीवन और समाज के प्रति सचेष्ट कहा जाएगा, जो अपने एवं अन्य लोगों के बौद्धिक विकास पर पूर्ण ध्यान देता है। उसकी सम्भावनाओं पर पहाड़ टूट जाता है जो बौद्धिक दृष्टि से अपंग है। चाहे विज्ञान हो या व्यवसाय, व्यक्ति की बौद्धिक सम्पदा ही उसके - - - - - - - बौद्धिक विकास के मापदण्ड ४१ - - - - - - - - - - - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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