Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 57
________________ अपेक्षा तो उसकी गति मन्द ही होती है। हमारे मस्तिष्क और उससे जुड़ी विभिन्न शक्तियों का असली विकास तो किशोरावस्था में ही होता है। उस समय विकास की दर बड़ी पुख्ता और आश्चर्यकारी होती है। किशोरावस्था ही जीवन की वह उर्वरा भूमि है जिसमें रोपे गये संस्कारों का प्रभावकारी परिणाम निष्पादित होता है। ____मनुष्य का मानसिक और बौद्धिक विकास अधिकाधिक हो, हमारे चिन्तन मजबूत और सुलझे हुए हों, इसके लिए जरूरी है कि बच्चों को हीन-भावना से ग्रसित न होने दिया जाए। उनके आत्म-विश्वास, उत्साह और विचारों की हत्या न होने दी जाए। उनकी जिज्ञासाओं, इच्छाओं एवं बातों पर ध्यान देने का प्रयास किया जाना चाहिए। उन्हें आहार-शुद्धि, विचार-शुद्धि और आचार-शुद्धि के प्रति सजग रहने की प्रेरणा दी जाए। विनय और अनुशासन के प्रति उनकी अभिरुचि बनाई जाए। ___ बौद्धिक-विकास के लिए जरूरी है कि बच्चा स्वस्थ एवं निरोग रहे और उसे हँसते-खिलते वातावरण में जीने का अवसर मिले। व्यायाम या योगासन करने से उसकी तन्दुरुस्ती में सुधार होगा। मानसिक एकाग्रता के लिएध्यान का उपयोग किया जाना चाहिए। चिन्तन-द्वार पर की गईमानसिक एकाग्रता मनुष्य की सोई हुई चिन्तन-शक्ति को सक्रिय बनाती है। चिन्तनशक्ति का उदय ही वास्तव में जीवन के आंगन में ज्ञान का सूर्योदय है। चिन्तन, ज्ञान और प्रयोग की सामूहिकता ही जीवन के द्वार पर सफलता की दस्तक है। 000 कैसे करें व्यक्तित्व-विकास Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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