Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 64
________________ - चिन्तन-शक्ति का तार्किक विकास मानसिक क्षमताओं का विकास हमारे अस्तित्व और व्यक्तित्व का विकास है। व्यक्ति की कुण्ठित मानसिकता जहाँ व्यक्ति को संकीर्ण और तनाव ग्रस्त बनाती है, वहीं विकसित मानसिकता हमें वातावरण के साथ समायोजन स्थापित करने में अपनी सशक्त सक्रियता दर्शाती है। व्यक्ति समस्याओं को बड़ी बारीकी से समझ लेता है। उसका हर चिन्तन समाधान की ओर विकासशील तथा क्रियाशील होता है । 988. मानसिक योग्यताओं के बल पर ही मनुष्य, मनुष्य कहलाता है। प्राण-शक्ति तो अस्तित्व के हर अंश में है । कोई दोपाया है तो कोई चौपाया । सुखपूर्वक जीने की इच्छा सबमें है । मानसिक प्रक्रियाओं के आविर्भाव और विकास के चलते ही मनुष्य सारे जीव जगत् का गौरव - मुकुट है। - Jain Education International मानसिक प्रक्रियाओं के विकास के दौरान मुख्यत: हमारी संवेदना, स्मृति, कल्पना, चिन्तन, तर्क, निर्णय आदि का विकास होता है । विभिन्न मानसिक पहलुओं में चिन्तन और तर्क का विकास अन्य सभी मानसिक चिंतन शक्ति का तार्किक विकास For Personal & Private Use Only ५७ www.jainelibrary.org

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