Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 29
________________ कई प्रकार के सामाजिक मूल्यों, विचारों और आदर्शों को भी वह आत्मसात् करता है। जब बालक १३-१४ महीने का होता है, तो वह बोलने की तैयारी करने लगता है। इससे पहले वह अपनी किसी भी जरूरत को रो-चीखकर या हाथ-पैर पटककर ही व्यक्त करता है। छोटा बच्चा भूख, वेदना, आवेग या खुशी जाहिर करना चाहता है तो वह रोता है या बबलाता है या अंगविक्षेप करता है। जन्म के समय बच्चे का चिल्लाना भाषा के आविर्भाव और उसके विकास का पहला कदम है। यदि जन्म के समय शिशु ने रोते समय रोने की ध्वनि / आवाज न की तो इसका मतलब है वह बालक भाषा की विकलांग होगा । - - भाषा-का- बचपन और बचपन की भाषा एक-दूसरे के काफी करीब हैं। भाषा का विकास मानव-जाति के इतिहास से जुड़ा है, पर भाषा का वैशिष्ट्य और व्यवहार व्यक्ति का निजी व्यक्तित्व है । मानव-जाति के विकास तहत ही भाषा का विकास है। अगर किसी दिन संसार में प्रलय हो गया तो भाषा को मानो आत्महत्या करनी पड़ेगी। संसार का विनाश भाषा का विनाश है; संसार का विकास भाषा का विकास है । भाषा की शुरुआत जन्म से है और जन्म की सार्थकता भाषा से है । बच्चा जन्म लेते ही साँस लेता है । साँस के साथ ऑक्सीजन भीतर जाती है, जिससे फेफड़ों में गति होने लगती है, परिणामस्वरूप ध्वनि उत्पन्न होती है। भाषा के आविष्कार की यही मूल भित्ति है। तालु, कण्ठ आदि के कुछ विकसित होने पर शिशु उन्हीं ध्वनियों को शब्दों के रूप में उच्चारित करने लगता है । जैसे-जैसे वह भाषा को अर्जित करता है, हाथ-पाँव पटकने की क्रिया कम हो जाती है । भाषा की अनुपस्थिति में ही अंगविक्षेप की क्रिया हुआ करती है। बच्चों में भाषा का विकास धीरे-धीरे होता है। शुरुआत में बच्चे के मुँह से जो ध्वनि ईजाद होती है, वह व्यंजन की बजाए स्वर ही होती है। पहले स्वर फिर व्यंजन और उसके बाद स्वर और व्यंजन का संयुक्त प्रयोग । २२ Jain Education International कैसे करें व्यक्तित्व - विकास For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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