________________ विषयानुक्रमणिका अध्याय विवरण पृ०सं० प्रथम जैन इतिहास की उत्पत्ति एंव विकास छठी शताब्दी ई०वी० से बारहवी शताब्दी ई०वी० तक जैन इतिहास की परिभाषा एंव व्याख्या तुलनात्मक दृष्टिकोण को अपनाते हुए-१, जैन एंव जैनेतर इतिहास लेखन की पद्धतियाँ-३, जैन इतिहास की प्राचीनता एंव ऐतिहासिकता-४, जैन एंव जैनेतर साहित्यिक एंव पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर जैन इतिहास निर्माण का प्रारम्भ एंव उसका विकास-६, छठी शताब्दी ई०वी० से बारहवीं शताब्दी ई०वी० तक - विविध भाषाओं में संस्कृत साहित्य-१०, प्राकृत साहित्य-२०, अपभ्रंश साहित्य, कन्नड़ साहित्य-३३, तमिल साहित्य.३४, मराठी साहित्य.३५ 25 द्वितीय जैन इतिहास लेखकों का उद्देश्य एंव उनकी विशेषताएं जैन इतिहास निर्माण की तत्कालीन परिस्थितियाँ एंव उनका प्रभाव-३६, राजनैतिक, धार्मिक,संध व्यवस्था, सामाजिक उद्देश्य - जैन धर्म के सिद्धान्तों को स्थायी एंव व्यापक रुप देना - 40, त्रिशष्ठिशलाका - पुरुषों का चरित्र निरुपण एंव तत्सम्बन्धित राजवंशों का उल्लेख . 45 अरिहंत या तीर्थकर,चक्रवर्ती, बलभ्रद,नारायण, प्रतिनारायण राजवंश - 56, इक्ष्वाकु,कुरु,काश्यप,हरि नाग विद्याधर राक्षस एंव वानरवंश हिन्दू धर्म में मान्य तथ्यों का जैनीकरण करना-६१, जैनधर्म के आश्रयदाताओं से सम्बन्धित घटनाओं, कियाकलापों का वर्णन-६५, तत्कालीन समाज एंव संस्कृति का वर्णन-६६, विशेषताएं-कालनिर्देश-७०,जनसाधारण की भाषा-७२ धार्मिक उपाख्यानों के माध्यम से धटनाओं का वर्णन७३, समन्वयवादी एंव उदारवादी दृष्टिकोण अपनाना