Book Title: Jain Kaviyo ke Brajbhasha Prabandh Kavyo ka Adhyayan
Author(s): Lalchand Jain
Publisher: Bharti Pustak Mandir

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Page 13
________________ (ख) कथानक-स्रोत ऐतिहासिक या पौराणिक, धार्मिक या नैतिक, दार्शनिक या आध्यात्मिक, अनूदित, निष्कर्ष । ४. चरित्र-योजना १६७-२१८ आलोच्य प्रबन्धकाव्य और चरित्र; अतिमानव: देव चरित्र-इन्द्र, इन्द्राणी, विद्याधर, विद्याधरी; मानव चरित्र-- उत्तम चरित्रः पुरुष चरित्र-ऋषि-मुनि, तीर्थंकर : पार्श्वनाथ, नेमिनाथ, अन्य आदर्श चरित्र-राम, लक्ष्मण, भरत, हनुमान्, कृष्ण. यशोधर. श्रेणिक. सखानन्द कुमार, राजा, सेनापति अन्य पात्रः नारी चरित्र-सीता, राजूल. मनोरमा, आदि; मध्यम चरित्र-लवकश, मारदत्त, अन्य चरित्र,नारी चरित्र; अधम चरित्र-कमठ, रावण, धनपाल, राजगृह नगर का राजकुमार; नारी चरित्र-अमृतमती, हंसद्वीप की राजरानी, दूती; मानवीकृत चरित्र-चेतन, मोह, सुबुद्धि-बुबुद्धि, पंचेन्द्रिय, अन्य चरित्र; प्रतीकीकृत चरित्र--पथभ्रान्त पुरुष, विद्याधर, सुआ. निष्कर्ष । ५. रस-योजना २१६-२६० रस-उपकरण-विभाव, अनुभाव, व्यभिचारी भाव, स्थायी भाव, प्रबन्ध और रस. आलोच्य प्रबन्धकाव्यों में रस-शान्त रस, भक्ति रस, श्रृंगार रस-संयोग पक्ष, वियोगपक्ष, वीर रस, रौद्र रस, करुण रस, वात्सल्य रस, भयानक रस. अदभत रस, हास्य रस बीभत्स रस. निष्कर्ष । ६. भाषा-शैली २६१-३२६ आलोच्य काव्य और भाषा-शैली, भाषा, ध्वनि-विचार, शब्द-स्रोत-तत्सम शब्द, तद्भव शब्द, देशी शब्द, विदेशी शब्द-फारसी, अरबी, शब्द-योजना, ध्वनिमूलकता, गुण व्यंजक पदावली-प्रसाद, माधुर्य, ओज, शब्द-शक्तियाँ- अमिधा, लक्षणा, व्यंजना, समास-रहित पदावली, समस्त पदावली, भावानुकूल भाषा। अलंकार-विधान-अनुप्रास, यमक, श्लेष, पुनरुक्तिप्रकाश, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अन्योक्ति, अतिशयोक्ति आदि ।

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