Book Title: Jain Kaviyo ke Brajbhasha Prabandh Kavyo ka Adhyayan
Author(s): Lalchand Jain
Publisher: Bharti Pustak Mandir
View full book text
________________
प्राक्कथन
निवेदन
भूमिका
१. युग-मीमांसा
अनुक्रमणिका
राजनीतिक अवस्था, आलोच्य प्रबन्धकाव्य और राज्य, सामाजिक अवस्था, आलोच्य प्रबन्धकाव्य और समाज, धार्मिक अवस्था, आलोच्य प्रबन्धकाव्य और धर्म, विभिन्न कलाओं की स्थिति - स्थापत्यकला, आलोच्य प्रबन्धकाव्य और स्थापत्य कला, चित्रकला, आलोच्य प्रबन्धकाव्य और चित्रकला, संगीतकला, आलोच्य प्रबन्धकाव्य और संगीतकला, साहित्य - हिन्दी भाषा तथा साहित्य, प्रमुख काव्यधाराएँ - मुक्तककाव्य धारा, प्रबन्धकाव्यधारा, रीतिकाव्यधारा, रीतिमुक्त या स्वछन्दका व्य-धारा, श्रृगारकाव्यधारा, भक्तिकाव्य-धारा, नीतिकाव्य-धारा, वीरकाव्य-धारा, अनुवाद, निष्कर्ष ।
२. परिचय और वर्गीकरण
(क) परिचय
मौलिक प्रबन्धकाव्य (अठारहवीं शताब्दी)
सीता चरित, यशोधर चरित चौपई, बंकचोर की कथा, आदिनाथ वेलि, रत्नपाल रासो, श्रेणिक चरित, चेतन कर्म चरित्र, मधुबिन्दुक चौपई, नेमिनाथ मंगल, नेमि राजमती बारहमास सवैया, नेमि राजुल बारहमासा, शतअष्टोत्तरी, नेमि-ब्याह, पंचेन्द्रिय-संवाद, राजुल पच्चीसी, सूआ बत्तीसी, नेमिचन्द्रिका (आसकरण कृत), नेमीश्वर रास, यशोधर चरित, पार्श्व पुराण, नेमिनाथ चरित आदि ।
७-८
६-१२
१७- २५
२७-६४
६५-१२४

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 390