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जैन धर्म और जीवन-मूल्य
वैसे ही भारतीय चित्रकला का क्रमिक इतिहास जानने के लिए जैन चित्रकला की उपेक्षा नहीं की जा सकती।
उपर्युक्त विवेचन में जैन संस्कृति के प्रत्येक पक्ष को स्पर्श मात्र करने का प्रयास है । जो तथ्य सामने पाये वे जैन संस्कृति के स्वरूप उद्घाटन में सहायक हैं । जैन संस्कृति की इन विविध प्रौर विपुल उपलब्धियों को जाने-समझे बिना भारतीय संस्कृति के तह तक नहीं पहुंचा जा सकता। यह अनिवार्यता दुहरी अावश्यकता को जन्म देती है। एक प्रौर यदि विद्वानों, अन्वेषकों एवं जन-सामान्य में जैन संस्कृति के प्रति अनुराग पैदा हो, तो दूसरी और यह भी आवश्यक है कि उनके समक्ष उसका विस्ततृ एवं यथार्थ विवरण प्रस्तुत करने वाली सामग्री भी उपलब्ध हो ।
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