Book Title: Jain Dharm aur Jivan Mulya
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Sanghi Prakashan Jaipur

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Page 126
________________ 116 जैन धर्म और जीवन-मूल्य 26. 23. अोझा, अजमेर म्यूजियम रिपोर्ट, मन् 1924, पृ. 34 24. के. सी. जैन. जैनिज्म इन राजस्थान, पृ. 30-31 25. मुनि जिनविजय, प्राचीन जैन लेख-संग्रह, भाग 2, पृ. । 5 5, लेख सं. 264 रामवल्लभ सोमानी, 'चित्तौड़ दुर्ग के अप्रकाशित जैन लेख' नामक लेख, शोध-पत्रिका, वर्ष 21, अंक 3 27. वही, जैन कीर्तिस्तम्भ चित्तौड़ के अप्रकाशित शिलालेख, अनेकान्त 22, अंक 1 28. वही, 'ऊपर गांव (डूगरपुर) का प्रप्रकाशित जैन लेख, अनेकान्त वर्ष 23, अंक 2 जून, 1960 29. वही, ऐतिहासिक शोध संग्रह, पृ. 43-46 30. 'राजस्थान के शिला लेखों का वर्गीकरण' नामक श्री सोमानी का लेख, श्री अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ, 1976, भाग 2, पृ. 130 (क) गजानन मिश्र, राजस्थान के जैन कवि और उनकी रचनाएं, अनेकान्त, वर्ष 25. अंक 2, 3, 4, 5, 1973 (ख) अगरचन्द नाहटा, "राजस्थान में रचित जैन संस्कृत साहित्य' राजस्थान भारती, वर्ष 3, अक 2, 3-4 (ग) जैन संस्कृति और राजस्थान, जिनवाणी विशेषांक , 1975 (अ) रामवल्लभ सोमानी, महाराणा कुम्भा, (ब) तारा मंगल, महाराणा कुम्भा और उनका काल, 1984, पृ 145-152 (स) गौरीशंकर असावा, 15 वीं शताब्वी का मेवाड, 1986, 149-151 33. देसाई, जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, पृ. 451-461 34. शोधपत्रिका भाग 6. अंक 2-3, पृ. 55 35. रामवल्लभ सोमानी, महाराणा कुम्भा, पृ. 212 36. हीरालाल र. कापड़िया, जैन साहित्य का वृहद् इतिहास, भाग 4, पृ. 200 37. कापड़िया की भूमिका के साथ, जैन पुस्तक प्रचारक संस्था से वि. सं 2005 में प्रकाशित गुलाबचन्द चौधरी, जन साहित्य का बृहद इतिहास, भाग 6, पृ. 516 39. प्रेम सुमन जैन, मेवाड़ का प्राकृत, अपभ्रंश एवं संस्कृत साहित्य, अम्ब गुरू अभिनन्दन ग्रन्थ. पृ. 206 देसाई, जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास पृ. 551-461 में इस ग्रन्थ का संक्षिप्त सार दिया गया है ।। 41. चौधरी, जैन सा. का बृहद इतिहास, भाग 6, पृ. 226 42. वही, पृ. 311 38. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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