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कुम्भाकालीन मेवाड़ में जैन धर्म
वही, पृ 416
जिन हर्षगणिकृत रयण सेहरीकहा का सम्पादन एव ग्रालोचनात्मक अध्ययन
( थीसिस ) - डॉ. सुधा खाब्या, उदयपुर, 1984
कापड़िया, जैन सा. का बृ. इ. भाग 5, पृ. 210
वही, पृ. 212
43.
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47. महाराणा कुम्भा, पृ. 213
48.
वही, पृ. 211-218
49.
अगरचन्द नाहटा, मेवाड़ के महान सत-जैनाचार्य जिनवर्द्धन सूरि, शोध पत्रिका, वर्ष 28, अंक 1, पृ. 25-28
50.
तारा मंगल, महाराणा कुम्भा, पृ. 149
51. डा० तारामंगल, महाराणा कुम्भा और उनका काल, जोधपुर 1984,
पृ० 45 52
52.
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विद्याधर जोहरापुरकर, भट्टारक सम्प्रदाय
परमानन्द शास्त्री राजस्थान के जैन सन्त मुनि पद्मनंदी, अनेकांत, वर्ष 22 अंक 6, 1970
11/
के० सी० कासलीवाल - जैन ग्रन्थ भण्डाराज इन राजस्थान, पृ. 200- 201 to बिहारीलाल जैन ने सकलकीर्ति और उनके लिखा है (अप्रकाशित, 1978,
साहित्य पर शोध-प्रबन्ध
कासलीवाल, वही, पृ. 234, अर्बुदाचल जैन लेख संदोह ।
इनके ग्रन्थ प्रायः अप्रकाशित हैं और जयपुर के ग्रन्थ भण्डारों में प्राप्त हैं । डा० प्रेमचन्द रांका, 'राजस्थान के जैन रासकाव्य' नामक लेख, महावीर जयन्ती स्मारिका (1984) पृ. 2 / 8-10
जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह, पृ. 122 123
विजय कुलश्र ेष्ठ, 'राजस्थान का रासो साहित्य' नामक लेख, शोधपत्रिका, वर्ष 25 अंक 2, पृ. 84
रामवल्लभ सोमानी, राजस्थान भारती भाग 10, अंक 4
विशेष के लिए दृष्टव्य
ब्रजमोहन जाबलिया, 'मेवाड़ का जैन साहित्य' नामक लेख, मज्भमिका 1971, पृ. 136
मुनीशचन्द्र जोशी, जैनकला एवं स्थापत्य, माग, 2, अध्याय 25, पृ. 340
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