Book Title: Jain Dharm aur Jivan Mulya
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Sanghi Prakashan Jaipur

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Page 104
________________ 94 जैन धर्म और जीवन-मूल्य स्थिर करे । सामायिक का अर्थ है कि विषमताओं पर विजय प्राप्त की जाय । आज की सबसे बड़ी समस्या द्वन्द और विषमता को है । इसी से मनुष्य के भीतर अशान्ति है । इस प्रशान्ति को मनुष्य बाहरी शोरगुल से भूलना चाहता है। विश्व का ध्वनिप्रदूषण मनुष्य के भीतर की अशान्ति का परिणाम है । यदि सामायिक द्वारा हृदय की अशान्ति, विषमता को कम किया जाय तो भागदौड़ कम होने से ध्वनि-प्रदूषण काफी हद तक कम हो सकता है । साधु-जीवन में पांच समितियों और तीन गुप्तियों द्वारा भी मन, वचन, कार्य की क्रियाओं पर संयम किया जाता है । संयम की यात्रा कोई भी हो, उससे पर्यावरण में शुद्धता आयेगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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