Book Title: Jain Darshan me Shwetambar Terahpanth
Author(s): Shankarprasad Dikshit
Publisher: Sadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
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( ८ ) (१) भगवान महावीर ने गौशालक को बचाया, यह उनकी भूल थी। वे छदमस्त थे, इसलिये उनसे यह भूल हुई।
(२) भगवान पार्श्वनाथ ने आग में जलते हुए नाग नागिन को बचाये, यह कार्य उनका पाप रूप था।
(३) हरिणगमेषी देव ने, देवकी महारानी के छः पुत्रों को बचा कर पाप उपार्जन किया।
(४) धारिणी राणी ने, मेघकुमार जब गर्भ में थे, तब मेघकुमार की रक्षा के लिये खान पानादि में जो संयम किया, वह पाप'था।
(५) भगवान श्री अरिष्टनेमि के दर्शन के लिए जाते समय श्रीकृष्ण वासुदेव ने एक वृद्ध पुरुष पर' अनुकम्पा करके उसकी ईट उठाई, वह पाप का कार्य था।
(६) भगवान श्री ऋषभदेव ने, जो समाज-व्यवस्था स्थापित की, वह कार्य भी पाप था ।
(७) भगवान तीर्थंकरों के द्वारा दिया गया वार्षिक दान भी पाप था।
(८) महाराजा मेघरथ ने, कबूतर को बचाया, यह भी पापं का कार्य था। ___(९) राजा श्रेणिक का, जीव हिंसा न करने के संबंध में 'अमारी पड़ह' की घोषणा करना भी पाप है।