Book Title: Jain Darshan me Shwetambar Terahpanth
Author(s): Shankarprasad Dikshit
Publisher: Sadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
View full book text
________________
तेरह-पन्थियों की कुछ भ्रमोत्पादक युक्तियाँ
योर उनका समाधान
भगदम सेरह-पन्थियों को कुछ उन युक्तियों को बताते हैं, मिनको तेरह-पन्यो माधु लोगों के हृदय में से दया दान के प्रति भद्रा निकालने के लिए. फाम में लाया करते हैं। साथ ही उन अयुरियों का कुछ जवाब भी देते हैं, जिसमें जनता उनकी युधियों के फन्दे से बच सफे।।
पन देकर जोष पचाना, व्यभिचार कराफर जीव पचाने के समान ही पाप है। यह बताने के लिए तेरह-पन्थी एफ कैसी भीषण युति देते हैं, वह सुनिये । तेरह-पन्थी कहते हैं. दोय वेश्या कसाई वाड़े गई, करता देखी हो जीवारा संहार। दोनों जणियां मतो करी, मरता राख्या हो जीव दोय हजार ॥ एक गहनो देई आपनो, तिन छुड़ाया