Book Title: Jain Darshan me Shwetambar Terahpanth
Author(s): Shankarprasad Dikshit
Publisher: Sadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
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परिशिष्ट नं० १ . इस उद्धरण से तेरह-पन्थ सम्प्रदाय के संकुचित
भानस का परिचय होगा थली में पाँच दिन का प्रवास (२०-भी भंवरमलजी सिंघी, 'तरुण जैन' नामक मासिक पत्र से उद्धत
अंक-दिसम्बर १९४१ के लेख का उपयोगी अंश) मैं तारीख ६ नवम्बर की रात को लाडनू पहुँचा। लाउनू में एक ही दिन में कई संस्थाओं को देख सका और बहुत से लोगों से बहुत से विषयों पर चर्चा विमर्श करने का मौका मिला, इसका श्रेय लाडनूं के उन मित्रों को है, जिन्होंने अपना समय देकर. मुझे कृतार्थ किया।
दूसरे दिन सुबह मेरे मित्र श्री मूलचन्दजी बैद और मैं पड़िहारा जाने के लिए सुजानगढ़ स्टेशन तक ऊँट पर गये । वहाँ