Book Title: Jain Darshan me Shwetambar Terahpanth
Author(s): Shankarprasad Dikshit
Publisher: Sadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
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(४८) दुखी की सहायता करने से उनका चुकता हुआ कम ऋण चुकना रुक जाता है, इसलिए मारे जाते हुए जीव को बचाना अथवा दुखो की सहायता करना पाप है। यदि सचमुच ही वे अपने इस सिद्धान्त को ठीक मानते हैं, तो
(१) आर्त ध्यान और रौद्र ध्यान से कर्म को निर्जरा होना मानना चाहिये।
(२) जो किसी जीव को मार रहा है, उसको भी हिंसा न करने का उपदेश न देना चाहिये।
(३) जिसको वे सुपात्र दान कहते हैं, वह सुपात्र दान भी पाप मानना चाहिये। ___ यदि तेरह-पन्थी लोग ऐसा नहीं करते हैं, तो उनका सिद्धान्त केवल लोगों को धोखे में डालने के लिए है, और झूठा है। जिस सिद्धान्त को वे स्वयं भी व्यवहार में नहीं ला सकते, उस सिद्धान्त का प्रचार केवल क्ष्या और दान को उठाने, एवं दान क्ष्या को पाप . बताने के लिए लोगों में करना, यह तो दया दान से द्वेष रखना