Book Title: Gommatsara Jivakand
Author(s): Khubchandra Jain
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir गोम्मटसारः। ११ ग विषय. पृ. पं. विषय. दृष्टांतद्वारा कायका कार्य ८१।१५ कषायमार्गणा अ-११ कायरहित-सिद्धाका स्वरूप ८१।२६ कषाय के निरुक्तिसिद्ध लक्षण ... १०९।१४ पृथ्वीकायिकादि जीवोंकी संख्या ८२।१० शक्तिकी अपेक्षा क्रोधादिके ४ भेद ... ११०। ६ योगमार्गणा अ-९ गतियोंके प्रथम समयमें क्रोधादिका नियम ... ... १११११४ योगका सामान्य लक्षण ... ... ८॥ कषायरहित जीव ... ... ११११२६ योगका विशेष लक्षण ८॥२३ कषायोंके स्थान... ... ... ११२। ४ दश प्रकारका सत्य ... ... कषायकी अपेक्षा जीवसंख्या ११४।१३ अनुभय वचनके भेद . ९०।२४ ज्ञानमार्गणा अ-१२ चार प्रकारके मनोयोग और वचनयो ज्ञानका निरुक्तिसिद्ध सामान्य लक्षण ... ११५।२८ गके कारण ... ... ... ९१।१७ पांच ज्ञानोंका क्षायोपशमिक क्षायिकरूसयोगकेवलीके मनोयोगकी संभवता ... ९१।२५/ ___ पसे विभाग ... ... .... ११६। ६ काययोगके प्रत्येक भेदका स्वरूप ९२।१७ मिथ्याज्ञानका कारण और स्वामी' ... ११६.१३ योगप्रवृत्तिका प्रकार ९६। ४ अयोगी जिन ... : मिश्रज्ञानका कारण और मनःपर्ययज्ञान९६११ __ का स्वामी ... ... ... ११६।२२ शरीरमें कर्म नोकर्मका विभाग ९६।१८ दृष्टांतद्वारा तीन मिथ्याज्ञानका स्वरूप... ११७.३ औदारिकादिके समयप्रबद्धकी संख्या... ९६।२६ मतिज्ञानका स्वरूप उत्पत्ति आदि ... ११८। ३ औदारिकादिके समयप्रबद्ध और वर्गणा श्रुतज्ञानका सामान्य लक्षण १२११२३ ___ का अवगाहन प्रमाण ... ... ९७१३ श्रुतज्ञानके भेद ... ... १२२। २ वित्रसोपचयका स्वरूप ... पर्यायज्ञान ... कर्म नोकर्मका उत्कृष्ट संचय और स्थान ... १२२।२८ ९८1१२ पर्यायसमास ... ... १२४। ३ उत्कृष्ट संचयकी सामग्री विशेष ... ५.८।२५ छह वृद्धियोंकी छह संज्ञा ... १२४॥२० शरीरोंकी उत्कृष्ट स्थिति ... ... छह वृद्धियोंकी कुछ विशेषता ૧૨૪૨૮ उत्कृष्ट स्थितिका गुणहानि आयाम ... अर्थाक्षर श्रुतज्ञान शरीरोंके समयप्रवद्धका बंध उदय सत्व ... १२७४१० अवस्थामें द्रव्यप्रमाण ... श्रुतनिबद्ध विषयका प्रमाण १२७१२१ ९९।२२ औदारिक और वैक्रियिक शरीरकी विशे अक्षरसमास और पदज्ञान १२८। ३ षता १२८1११ .. पदके अक्षरोंका प्रमाण ... १००११ औदारिक शरीरके उत्कृष्ट संचयका स्वामी १००।२८ पदसमास और संघात श्रुतज्ञान ... १२८१२४ वैक्रियिक शरीरके उत्कृष्ट संचयका स्थान १०१। ५ संघातसमास आदि १३ प्रकारके श्रुतज्ञातैजस कार्मणके उत्कृष्ट संचयका स्थान नका विस्तृत स्वरूप ... ... १२९। ४ १०१।१६ अंगबाह्य श्रुतके भेद ... योगमार्गणामें जीवोंकी संख्या ... १४०। ७ ... १०१।२५ श्रुतज्ञानका माहात्म्य १४०1१९ वेदमार्गणा अ-१० अवधिज्ञानका स्वरूप और दो भेद ... १४११ १ तीन वेदोंके दो भेदोंका कारण और दो प्रकारकी अवधिका स्वामी और उनकी समविषमता ... ... १०६। १ स्वरूप ... ... ... १४१।१५ भाववेद और उसके तीन भेदोंका स्वरूप १०६।१३ गुणप्रत्यय और सामान्य अवधिके भेद १४१।२६ वेदरहित जीव ... ... १०७।१५ अवधिका द्रव्यादिचतुष्टयकी अपेक्षा वेदकी अपेक्षा जीवसंख्या ... ... १०७॥२३ वर्णन ... ... ... ... १४३। ८ १९.१४ For Private And Personal

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