Book Title: Gommatasara Jiva kanda Part 1
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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विषय-सूची
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चौबीस तीर्थंकरों तथा उनके गणधरों को
गुणस्थान और मार्गणा में शेष प्ररूपणाओं का नमस्कार
१-८ अन्तर्भाव मंगलाचरण के सम्बन्ध में शंका-समाधान १०-११ गुणस्थान का स्वरूप मंगल शब्द की व्युत्पत्ति
चौदह गुणस्थानों के नाम मल का स्वरूप और भेद
गुणस्थानों का स्वरूप अभ्यन्तर द्रव्यमल
गणस्थानों में औदयिक आदि भाव मंगल के भेद
मिथ्यादृष्टि गुणस्थान का स्वरूप नाममंगल
सासादन गुणस्थान का स्वरूप स्थापनामंगल और द्रव्य मंगल
.. सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थान का स्वरूप क्षेत्रमंगल और कालमंगल
मिश्र गुणस्थान की विशेषताएँ
वेदक सम्यक्त्व का स्वरूप भावमंगल ग्रन्थावतार का निमित्त
चल, मलिन, अगाढ़ दोष गोम्मटसार ग्रन्थ के अध्ययन में हेतु
उपशम सम्यक्त्व और क्षायिक सम्यक्त्व का
स्वरूप प्रत्यक्ष हेतु, परोक्ष हेतु
सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि परोक्ष हेतु : अभ्युदय सुख और मोक्ष सुख १७
अविरत सम्यग्दृष्टि का स्वरूप . अभ्युदय सुख : राजा आदि
देशसंयत गुणस्थान का स्वरूप . राजा आदि का लक्षण
प्रमत्तविरत का स्वरूप..... मोक्ष-सुख
पन्द्रह प्रमाद ग्रन्थ का प्रमाण
प्रमादों के कथन के लिए संख्या आदि कथन ६३ ग्रन्थ का नाम
प्रथम प्रस्तार का कथन ग्रन्थकर्ता के प्रकार
द्वितीय प्रस्तार का कथन अर्थकर्ता का कथन
नष्ट लाने की विधि द्रव्यरूप से अर्थकर्ता
उद्दिष्ट की विधि क्षेत्र की अपेक्षा अर्थकर्ता
२२ नष्ट-उद्दिष्ट के लिए उपयोगी गूढ़यन्त्र काल की अपेक्षा अर्थकर्ता
प्रमादों की विशेष संख्या मूलकर्ता भगवान् महावीर
अप्रमत्त गुणस्थान का स्वरूप उपतन्त्रकर्ता गौतम गणधर
२४ सातिशय अप्रमत्त का स्वरूप प्रमाण, नय, निक्षेप की उपयोगिता तथा स्वरूप २५ अधःप्रवृत्तकरण का लक्षण शास्त्र के आदि में उपकार का स्मरण क्यों? २५ अधःप्रवृत्तकरण के काल का प्रमाण प्रथम मंगल गाथा की व्याख्या
२६ अधःप्रवृत्तकरण की संदृष्टि आदि बीस प्ररूपणाएँ
अधःप्रवृत्तकरण की अंकुश रचना
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