Book Title: Gommatasara Jiva kanda Part 1
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कर्णाटवृत्ति जोवतत्त्वप्रदीपिका
२३९
त्रैराशिकमं माडि बंद लब्धमि विछे प छ ३ दोंदुद्धाररोमम खंडिसिद खंडप्रमाणमक्कुं। अद्धा
३२५ को २ पल्य तन्नर्द्धच्छेदराशियं मेलसंख्यातवर्गस्थानंगळं नडेदु पुट्टिदुदी हारं पल्यच्छेदराशिय प्रथमवर्गम पल्यच्छेदासंख्यातेकभागदिदं गुणिसिदनितेयक्कुमदरिंदमसंख्यातवर्षसमयंगळे बुवुमिनितयप्पुवु विप छे छे ३ पल्यं प्रतिपादितमायतु ॥
३०
इ २५ को २
एदाणं पल्लाणं दहप्पमाणाओ कोडकोडीओ।
सागरउवमस्स पुढं एक्कस्स हवेज्ज परिमाणं ॥-[ति. प. १३१३० ] ई मुरु पल्यगळ पत्तकोटिकोटियं प्रत्येक कोंडोडे यथासंख्यायदं तत्तद्वयवहारादि सागरोपमंगळप्पुवोंदोंदु ॥वोंदु सागरोपमं पत्तुकोटिकोटि पल्यप्रमाणमप्पुदक्कुपपत्तियं पेळ्दपं ।
पल्यस्य संदृष्टिः सिद्धयति वि छे छे ३ । पुनरस्यकै कस्मिन् रोमखण्डे असंख्यातवर्षसमयैः समं खण्डिते
३ २५ को २ यावन्ति रोमखण्डानि तावती अद्वापल्यस्य रोमखण्डसंख्या भवति । तत्समयसंख्यापि तावत्येव । ते असंख्यात- १०
वर्षसमयाः कतीति चेत् उच्यते-एतावन्ति रोमखण्डानि प्र विछे छे ३ असंख्यातवर्षसमयैः खण्डितानि
१J२५ को २
यद्यद्धापल्यमात्राणि भवेयुः फ प १ तदा एकखण्डे असंख्यातवर्षसमयः खण्डिते कति खण्डानि भवेयुः ? इति
समयमें वह रिक्त हो,उतना ही अद्धापल्यका काल है। वे असंख्यात वर्षके समय कितने हैं,सो बतलाते हैं-उद्धारपल्यके समस्त रोमखण्डोंमें से प्रत्येकके असंख्यात वर्षका समय प्रमाण खण्ड करनेपर यदि एक अद्धापल्य प्रमाण खण्ड होते हैं,तो एक खण्डको असंख्यात वर्षके १५ समयोंसे खण्डित करनेपर कितने खण्ड होंगे? ऐसा त्रैराशिक करनेसे जितना लब्धराशिका प्रमाण होता है,उतना ही असंख्यात वर्षके समय होते हैं । अद्धापल्य अपनी अर्धच्छेदराशिसे ऊपर असंख्यात वर्गस्थान जाकर उत्पन्न होता है,ऐसा जानना। इस प्रकार पल्योंको कहा। १. म प
वि + छे छे १२५ को २। २. म प+छे छे ३
वि. १२५ को २ । ३. बसिद्धा भवति ।
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