Book Title: Gommatasara Jiva kanda Part 1
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 480
________________ ४२२ गो० जीवकाण्डे चरमगुणहानिमोदल्गोंडु प्रथमगुणहानिपथ्यंत सर्वत्र गुणहानिगुणितचरमगुणहानिद्रव्यमनिनितं । १००। ८ । कूडि २००। ८ कूडि द्विरूपदिदं बेरिसि १००८। २। गुणसंकलन४००।८ २००।८।२। ८००।८ ४००।८।२। २६००।८ ८००।८।२। ३२००।८ १६००।८। । ६४००।८ ३२००।८।२। दिदं तंदुभयपंक्तिद्रव्यमितिप्पुड संदृष्टियिदु ६३०० । ८। २। ६३ । ८ । ५ । ८।८। इल्लि धनपंक्तियो प्रविष्टद्वितीयऋणं नानागुणहानिगुणितगुणहानिमात्रघरमगुणहानिद्रव्यमानमिदु १० १००। ८।६। ई मूरुं द्रव्यंगळु । ६३०० । समयप्रबद्धर्दिद । शलाकीकृतंगळु यथाक्रमदिनितिप्पुबु २ . ८।२।८ ५ ८।८ ८६ इवरोळ मध्यमराशिग भागहार भूतशतषट्कंगळोळ यथाक्रम चरमगुणहानिमादिं कृत्वा प्रथमगुणहानिपर्यन्तं सर्वत्र हानिगुणितचरमगुणहानिद्रव्यम् १०० । ८ मेलयित्वा मेलयित्वा- २०० । ८ | द्वाभ्यां संभेद्य- १०० । २ | गुणसंकलने आनीते उभयपक्निद्रव्ये एवं ४०० । ८ २०० । २ ८०० । ८ ४०० । २ १६०० । ८ ८०० । २ ३२०० । ८ १६०० । २ ६४०० । ८ । | ३२०० । २ तिष्ठतः । ६३००। ८।२। ६३ । ८ । ५। ८।८। अत्र धनपङ्क्तो प्रविष्टद्वितीयऋणं नानागुणहानिमात्र २० चरमगुणहानिद्रव्यमात्रमिदम् १०० । ८ । ६ । एतानि त्रीणि द्रव्याणि समयप्रबद्धन ६३०० शलाकीकृतानि ३२ - ३२ मिलानेसे ५१२ होते हैं। इस तरह अन्तिम निषेक पर्यन्त एक-एक अधिक चय मिलानेसे ५१२ होते हैं । इस सबका जोड़ दो कम गच्छका दो बार संकलन मात्र चय प्रमाण होता है । उक्त चयोंका प्रमाण इस प्रकार होता है- ३२४३१ ३२४१५ ३२४६ ३२४३ ३२४१ गणित सूत्रके अनुसार इनका जोड़ दो कम गच्छ, एक कम गच्छ, सम्पूर्ण गच्छको २ कम १ कम तीन, दो और एकसे भाग देकर उससे चयके प्रमाण ३२ को गुणा करनेपर ३२x ३० इस प्रकार होता है। इसको पहलेके अभाव द्रव्यमें-से घटाना है। कन्नड़ वृत्तिके अनुसारी संस्कृत टीकाकारने जिस पुरानी रीतिसे लिखा है, उससे आजके पाठकोंको समझाने में कठिनता होती है। अतः सीधा अभिप्राय यह है कि ६३००४८ में-से जो घटाना है, वह ५१२४ २८ में-से ३२ x ५६ को घटा देनेपर जो शेष रहे,उतना है। इतना घटा देनेपर प्रथम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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