Book Title: Gommatasara Jiva kanda Part 1
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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एंदिल्लि कार्मणशरीरस्थित्यन्योन्याभ्यस्तराशिभुं पेव्द पत्यवर्गशलाकाराशिविभक्तपल्यमात्र मदक्कं कसंदृष्टि ६४ । ई राशियं रूपहीनं माडि समयप्रबद्धद्रव्यमं भागिसिदोर्ड तदेकभागं ६३००।१ पूर्वोक्तनानागुणहा निशलाकासमूह छे - व छे मिदक्कंकसंदृष्टि ६ ईयारुं गुण६३ हानिको चरमगुणहानि संबंधिद्रव्यमक्कुं । १०० । मेले प्रथमगुणहानिपय्र्यंतं द्विगुणद्विगुणक्रममक्कुमंतागुत्तिरलु प्रथमगुणहानिद्रव्यं चरमगुणहानिद्रव्यमं नोडलु रूपोननानागुणहानिशलाकप्रमितद्विकवर्गजनितान्योन्याभ्यस्तराश्यर्द्धदिदं गुणिसिद चरमगुणहानिद्रव्यप्रमाणमक्कुं १०० सर्वगुणहानिद्रव्यविन्यासं । -
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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
रूऊणण्णोष्णन्भत्थवहिददव्वं तु चरिमगुणदव्वं । होदि तदो दुगुणकमा आदिमगुणहाणिदव्वोत्ति ॥
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रूऊणण्णोणम्भवह्रिददव्वं तु चरिमगुणदव्वं । होदि तदो दुगुणकमा आदिमगुणहाणिदव्वोत्ति ।
इति प्रागुक्तल्यवर्गशलाकाराशिविभक्तपल्यमात्रेण कार्मणशरीरस्थित्यन्योन्याभ्यस्त राशिना अङ्कसंदृष्ट्या चतुःषष्ट्यात्मकेन ६४रूपोऽनेन भक्त्वैकभागः । ६३०० । पूर्वोक्तनानागुणहानिशलाकासमूहस्य । छे व छे ।
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अङ्कसंदृष्ट्या षडात्मकस्य ६ चरमगुणहानिसंबधिद्रव्यं भवति १०० । अधः प्रथमगुणहानिपर्यन्तं द्विगुणद्विगुणक्रमो भवति । तथा सति प्रथमगुणहानिद्रव्यं चरमगुणहानिद्रव्याद्रूपोन नानागुणहानिशलाकाप्रमितद्विकसंवर्गसंजनितान्योन्याभ्यस्तराश्यर्धगुणितच रमगुणहानिद्रव्य प्रमाणं भवति १०० । ६४ ।
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'एक कम अन्योन्याभ्यस्त राशिका भाग द्रव्य में देनेसे अन्तिम गुणहानिका द्रव्य आता है। उससे आदिम गुणहानि पर्यन्त द्रव्य दूनान्दूना होता है ।'
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इस नियम के अनुसार पूर्वोक्त पल्यकी वर्गशलाकाराशिसे भाजित पल्य प्रमाण कार्मण शरीरको अन्योन्याभ्यस्तराशि है । जो अंक संदृष्टि से ६४ कल्पना की गयी है, उसमें एक कम करके ६३०० में भाग देनेपर नानागुणहानि ६ में से अन्तिम गुणहानि सम्बन्धी द्रव्य २० १०० होता है। आगे प्रथम गुणहानि पर्यन्त यह द्रव्य दूना-दूना क्रमसे होता है । ऐसा होनेपर एक कम नानागुणहानिशलाका प्रमाण दो-दोको परस्पर में गुणा करनेसे जो अन्योन्याभ्यस्त - राशिका आधा प्रमाण होता है, उससे अन्तिम गुणहानिके द्रव्यको गुणा करनेपर प्रथम गुणहानिका द्रव्य होता है । सो एक कम नाना गुणहानि पाँच, उतने प्रमाण दुओंको परस्परमें गुणा करनेसे २२x२x२२ = बत्तीस आता है । सो यह अन्योन्याभ्यस्तराशि चौसठका २५ आधा है । इससे अन्तिम गुणहानिके द्रव्य सौको गुणा करनेपर प्रथम गुणहानिका द्रव्य
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