Book Title: Gommatasara Jiva kanda Part 1
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गो० जीवकाण्डे संदृष्टि ८ । संख्येयरूपुगळिनितक्क १। अकसंदृष्टि ४। इल्लि पदकदे संखेण भाजिवे पचयमेंबी सूत्रेष्टदिदं समस्तपरिणामधनमं= a = a । ४०९६ । पदकृतियिदमुं संखेयरूपुळिदं भागिसुत्तिरलु
= = ॥४.९६ २१२।२११।१।८।८।४ लब्धं प्रचयमक्कं २११।२११।१।१६ व्येक पदार्थघ्नचयगुणो
. . : २११ (?) गच्छउत्तरधनमेंबी सूत्राभिप्रायदिदं चयवनमते दोडे २११।१२ अंक संदृष्टि ४४८। चयधणहोणं दव्वं पदभजिदे होदि आदि परिमाणमें वो सूत्रेष्टदिदं चयधनमं समस्तधनदोळु शोधिसिकळदु पददिदं भागिसुतिरलु प्रयमसनपत्तित्रिकालगोचर नानाजीवसंबंध्यपूर्वकरणपरिणामप्रमाणं
= = २१००२ १० बक्कु २११।२११।१।२। ४५६ । आदिम्मि चये उद्धे पडिसमयधणं तु भावाणमेंबी सूत्रदिदं
प्रथमसमयविशुद्धिपरिणामपुंजदोळोंदु चयमं कूडुत्तिरलु द्वितीयसमयत्तिनानाजीवसंबंधियपूर्ध्व४०९६ । कालोऽन्तर्मुहूर्तः २ ११ तत्संदृष्टिः ८ । संख्यातरूपाणि १ तत्संदृष्टि: ४ । तद्धनं = a = a । ४०९६ । = alza ४०९६
al za पदकदिसंखेण भाजिदे २११४२११, १।८।८ । ४ पचयो होदि २११।२१।१ १६
= =२१।२११ व्येकपदार्धनचयगुणो गच्छश्चयधनं भवति २११।२१।१।२। ४४८ तच्च समस्तधने शोधयित्वा शेषे पदेन भक्ते प्रथमसमयवतित्रिकालगोचरनानाजीवसंबन्ध्यपूर्वकरणपरिणामपुञ्जप्रमाणं भवति
=al = २११।१।२
२११। २११। १। २ ४५६ अत्रकचये युते द्वितीयसमयवर्तिनानाजीवसंबन्ध्यपूर्वकरणपरिणामकालके प्रथम समयमें प्रत्येक एक-एक परिणामके असंख्यात लोक भेदोंकी उत्पत्ति सम्भव है। अतः अपूर्वकरण परिणामोंका सर्वधन अंकसंदृष्टिमें कल्पना किया ४०९६ है । अपूर्वकरणका काल अन्तमुहूर्त है सो यहाँ ८ कल्पना किया । संख्यातका प्रमाण चार है। ‘पदकदिसंखेण भाजिदे पचयो होदि', इस सूत्रके अनुसार पद अर्थात् गच्छ ८ के वर्ग ६४ और संख्यातके प्रमाण चारका भाग सर्वधन ४०९६ में देनेसे चय होता है सो उसका प्रमाण १६ हुआ । तथा 'व्येकपदार्धनचयगुणो गच्छ उत्तरधनम्', इस सूत्रके अनुसार एक कम गच्छ ७ उसका आधा २ को चय १६ से गुणा करने पर ५६ प्रमाण आता है। उसको गच्छ ८ से गुणा करने पर चयधन चारसौ अड़तालीस ४४८ होता है। उसको सवेधन ४०९६ में घटाने पर शेष ३६४८ को गच्छ ८ से भाग देने पर प्रथम समय सम्बन्धी परिणाम ४५६ होते हैं। इसमें एक चय जोड़ने पर द्वितीय समयवर्ती नाना जीव सम्बन्धी अपूर्वकरणपरिणाम पुंजका प्रमाण ४७२ होता है । इसी प्रकार तृतीय आदि समयोंमें एक-एक चयकी वृद्धिके क्रमसे परिणाम पुंजोंका प्रमाण लाने पर अन्तिम समय सम्बन्धी परिणामपुंजका प्रमाण प्रथम समय सम्बन्धी धन ४५६ में एक कम गच्छ प्रमाण चयो ८-१=७४१६ = ११२ एकसौ बारह जोड़ने पर ५६८
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