Book Title: Gommatasara Jiva kanda Part 1
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गो० जीवकाण्डे
दोळोंदु प्रदेशमं कूडुत्तिरलु संख्यातगुणवृद्धिप्रथमावगाहनस्थानमक्कु ज २ मतः परमेकैकप्रदेशवृद्धिक्रर्मादिदं संख्यातगुण वृद्धिस्थानंगळ संख्यातावगाहनविकल्पंगळनडेदो देडेयोलु ।अवरे वरसंखगुणे तच्चरिमो तम्हि रूवसंजुत्ते । ओगाहणम्म पढमा होदि अवत्तव्वगुणवड्ढी ॥ १०८॥
५ अवरे वरसंख्यातगुणे तच्चरमं तस्मिन् रूपसंयुक्ते । अवगाहने प्रथमं भवत्यवक्तव्यगुणवृद्धिः ॥ जघन्यावगाहनमनुत्कृष्टसंख्यार्तादिद गुणियिसुत्तिरत्तत्संख्यात गुणवृद्धिचरमावगाहनस्थानमक्कु १५ मी संख्यातगुण वृद्धिस्थानंगळे नितैक्कुमे दोर्ड मुन्निनंते आदी अंते सुद्धे
सूत्रोक्तक्रर्मादिदं लब्धदनितप्पुवु ज १५२ मुंदेयुमा संख्यातगुण वृद्धि चरमावगाहनदोळोदु रूपं
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कूडुत्तिरलवक्तव्यगुणवृद्धिय प्रथमावगाहनस्थानमक्कु ज १५ मिल्लिदं मुंदेयुमे केक प्रदेशोत्तर वृद्धिक्रर्माददमवक्तव्यगुणवृद्धिस्थानंगळसंख्यातं गळ्नडेदों देडेयोल
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एतावन्ति स्युः ज । पुनः तच्चरमावक्तव्य भागवृद्धिस्थाने एकप्रदेशे युते सति संख्यातगुणवृद्धेः प्रथमावगानस्थानं स्यात् ज तदग्रे एकैकप्रदेशवृद्धया संख्यातगुणवृद्धेरसंख्यातावगाहनस्थानानि नीत्वा एकत्र
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स्थाने ॥१०७॥
जघन्यावगाहने उत्कृष्टसंख्यातेन गुणिते संख्यातगुण वृद्धेश्वरमावगाहनस्थानं स्यात् ज १५ । एतानि १५ संख्यात गुणवृद्धिस्थानानि कति ? इति चेत् प्राग्वत् आदी अन्ते सुद्धेत्यादिना लब्धानि एतावन्ति स्युः ।
ज १५ - २ । अग्रे संख्यात गुणवृद्धिचरमावगाहने एकरूपयुते सति अवक्तव्यगुणवृद्धेः प्रथमावगाहनस्थानं स्यात्
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ज १५ । इतोऽग्रे एकैकप्रदेशवृद्ध्या अवक्तव्यगुणवृद्धिस्थानानि असंख्यातानि नीत्वा एकत्र ॥ १०८ ॥
घटाकर शेषको एकसे भाग देकर एक जोड़नेपर जो प्रमाण हो, उतने ही अवक्तव्य भागवृद्धि के स्थान होते हैं । उस अवक्तव्यभाग वृद्धिके अन्तिम स्थान में एक प्रदेश जोड़ने पर संख्यातगुण२० वृद्धिका प्रथम अवगाहना स्थान होता है। उसके आगे एक-एक प्रदेशकी वृद्धि होते संख्यातगुण वृद्धिके असंख्यात अवगाहन स्थानोंके जानेपर ॥१०७॥
जघन्य अवगाहनामें उत्कृष्ट संख्यातसे गुणा करनेपर संख्यातगुणवृद्धिका अन्तिम अवगाहन स्थान होता है । ये संख्यातगुणवृद्धि के स्थान कितने हैं, यह जानने के लिए पूर्व में कहे करणसूत्र के अनुसार आदि स्थानको अन्तिम स्थान में से घटाकर उसमें एक से भाग देकर २५ तथा एक जोड़कर जितना हो, उतने हैं। आगे संख्यातगुणवृद्धिके अन्तिम अवगाहना स्थानमें एक जोड़ने पर अवक्तव्यगुणवृद्धिका प्रथम अवगाहन स्थान होता है। इससे आगे एक-एक प्रदेशकी वृद्धि करते हुए अवक्तव्यगुणवृद्धिके असंख्यात स्थान बिताकर || १०८||
१. मक्कु ।
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