Book Title: Gommatasara Jiva kanda Part 1
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
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बादरद्वोंद्रियपर्याप्तजघन्यावगाहनं पल्यासंख्यातेकभागगुणित १ ९ मिदं नोड त्रिचतुःपंचेंद्रिय
६। त्रिच। ६५६ पर्याप्तजघन्यावगाहनंगळु प्रत्येकं पूर्वपूर्वमं नोडलु संख्यातगुणितंगळु १।८।७।१०६ मिदं नोडे बादरत्रोंद्रियापर्याप्नोत्कृष्टावगाहनं संख्यातगुण । ५ मिदं नोडे बादर चतुरिंद्रियापर्याप्तोत्कृष्टावगाहनं संख्यातगुण २।४ मिदं नोर्ड द्वोद्रियापर्याप्तोत्कृष्टावगाहनं संख्यातगुण १।३ मिदं नोडलप्रतिष्ठितप्रत्येकापर्याप्तोत्कृष्टावगाहनं संख्यातगुण १२ मिदं नोडे सकलेंद्रियापर्याप्तो- ५ त्कृष्टावगाहनं संख्यातगुण ११ मिदं नोडे त्रोंद्रियपर्याप्तोत्कृष्टावगाहनं संख्यातगुण १ १ मिदनप वत्तिसुत्तिरलु गुणकारबाहुदिद संख्यालघनांगुल प्रमाणमक्कु ६।१ मिदं नोडे चतुरिंद्रिय
पर्याप्तजघन्यावगाहनं पल्यासंख्येयभागगुणितमपतितं ६ अतः त्रिचतुःपञ्चेन्द्रियपर्याप्त जघन्यावगाहनानि प्रत्येक
पूर्वपूर्वतः संख्यातसंख्यातगणितानि त्रि ६ । च ६ । प ६ अतः बादरत्रीन्द्रियापर्याप्तोत्कृष्टावगाहनं
संख्यातगुणं ६ अतः बादरचतुरिन्द्रियापर्याप्तोत्कृष्टावगाहनं संख्यातगुणं ६ अतः द्वीन्द्रियापर्याप्तोत्कृष्टा- १०
वगाहनं संख्यातगणं ६ अतः अप्रतिष्ठितप्रत्येकापर्याप्तोत्कृष्टावगाहनं संख्यातगणं ६ अतः सकलेन्द्रिया
१।२ पर्याप्तोत्कृष्टावगाहनं संख्यातगणं ६ अतः त्रीन्द्रियपर्याप्तोत्कृष्टावगाहनं संख्यातगणं ६१ इदमपवर्तितं
गुणकारबाहुल्यात्संख्यातघनाङ्गुलप्रमाणं भवति ६ १, अतश्चतुरिन्द्रियपर्याप्तकोत्कृष्टावगाहनं संख्यातगुणं
असंख्यातवें भाग गुणा है। उससे बादर तेजस्कायिक अपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। उससे बादर तेजस्कायिक पर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। उससे बादर अप्कायिक अपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना पल्पके असंख्यातवें भाग गुणा है । उससे बादर अप्कायिक अपर्याप्तको उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। उससे बादर अप्कायिक पर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। उससे बादर पृथ्वीकायिक पर्याप्तकी जघन्य अवगाहना पल्यके असंख्यातवें भाग गणा है। उससे बादर पृथ्वी अपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। उससे बादर पृथ्वीकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। २० उससे बादर निगोद पर्याप्तकी जघन्य अवगाहना पल्यके असंख्यातवें भाग गुणा है । उससे बादर निगोद अपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। उससे बादर निगोद पर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। उससे प्रतिष्ठित प्रत्येक पर्याप्तकी जघन्य अवगाहना पल्यके असंख्यातवें भाग गणा है। उससे प्रतिष्ठित प्रत्येक अपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। उससे प्रतिष्ठित प्रत्येक पर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इस तरह सतरह अवगाहना स्थानोंको लाँधकर पूर्वोक्त प्रकारसे अपवर्तन करनेपर सतरहवाँ बादर पर्याप्त प्रत्येककी उत्कृष्ट
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