Book Title: Gandharwad
Author(s): Bhanuvijay
Publisher: Jain Sahitya Mandal Prakashan

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra शून्यवादी का ज्ञान, वचन सत् या असत् www.kobatirth.org विषय पृ० सं० मृगजल का ज्ञान स्वयं प्रसत् नहीं ७० (१) वस्तु परस्पर सापेक्ष नहीं किन्तु स्वतः सिद्ध है । वस्तु के दो स्वरूप : सापेक्ष-निरपेक्ष | स्वपर का भेद सर्वशून्यता में घटित नहीं: वस्तु १. स्वतः सिद्ध २. परतः सिद्ध, ३. उभय सिद्ध, ४. नित्यसिद्ध (२) वस्तु र अस्तित्व का सम्बन्ध (३) कौन जन्मे ? (१) उत्पन्न, (२) अनुत्पन्न, (३) उभय, (४) उत्पद्यमान ( ग ) ७२ ७३ ७३ ७३ (४) उत्पादक सामग्री घटित हो सकती है । ७५ शून्यता का वचन सत्य या मिथ्या ? तिलमें से ही तेल, वालू में से क्यों नहीं ? (५) प्रभाग कहने से ही M परभाग सिद्ध ७६ सर्व शून्य में प्रन - पर क्या ? संशय सत् का या प्रसत् का ? पंच भूत Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषय और पांच स्थावर कार्य की सिद्धि हिंसा हिंसा कहां ? गणधर ५ [ सुधर्मा] परभव समानया असमान पृ० सं० असमान के तर्कः द्रव्ययोग से भी सर्पसिंहादि : भव का बीज कर्म, पर भव नहीं हिंसा - दानादि के फलभेदः 'स्वभाव ८० भवान्तर' वहां स्वभाव क्या ? ८ १ वस्तु के समानासमान पर्याय ८२ A गरणधर-७ ( मौर्य - - पुत्र ) देवता हैं क्या ? ८० गरणधर - ६ ( मंडित ) श्रात्माके बन्ध मोक्ष हैं ? ८४ For Private and Personal Use Only जीव और कर्म में प्रथम कौन ? अगर साथ तो अनादि का नाश नहीं । ८४ भव्यत्व क्या ? संसार खाली क्यों न हो ? श्रात्मा सर्वंगत हो तो क्रिया घटित प्रलोक-धर्माधर्म की सिद्धि ८६ ८ ε0 समवसरण में ही प्रत्यक्ष : ज्योतिष्क विमान : माया रचना करने वाले ही देवः उत्कृष्ट पुण्य का फल, जातिस्मरण वाले का कथन ६०

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