Book Title: Budhjan Satsai
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay
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ॐ
नमः ।
बुधजन - सतसई ।
61 देवानुरागशनक
चोदा।
नमपिट सेनमरिन न्दी मंगलकार | चन्ने सुजन मनगट, निजपरहितकरतार ॥ १ ॥ परमधरमतर हो, भविजनकरतार |
निन चंदन करना वह मेरा गहि का तार ॥ २॥ प पर आपके पाप गदैन ।
१८
चैन ॥ ३ ॥
सवावक जावक प्रभु, नायक कर्मले । लायक जानि नमन हैं, पांव भये सुरंग ॥ ४ ॥
WITHE -
१
स करके चरण । २ सन्मति यच्छो बुद्धि या म्यान करनेवाले । ३ नव तराए । १ जानिरजान फरहे। सेवक ।
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