Book Title: Budhjan Satsai
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 30
________________ बुधजन-सतमईसूर सुधीर पराक्रमी, सब वाहनअसवार । जुद्धचतुर साहसि मधुर. सेनावीम उदार ॥३९॥ निरलोमी सांचौ सुवर. निरालसी मति धीर। हुकमी उदमी चौकमी. भंडारी गंभीर ॥४०॥ निरलोमी यांची निडर, मुब हिमावकारतार । स्वामिनामनिरलसी. नौमंदी (1) हितकार ॥४॥ दरस परम पूछ कर निरने रोग र आय । पथ्यापयमै निपुन चिर. वह चतुर मुखदाय ॥४२॥ जुक्त सौत्र पाचक मधुर. देश काल वय जोग । मुपकार भोजन चतुर, बोझे सत्य मनोग ।।४।। मृद दद्धिी आयु लघु. व्यसनी लुब्ध कसर । नाधिरती (1) नहिं दीजिये, जाना मन मगहर श्या सील सरलकों दीजिये, विकट मिल दुख होय । ये सीख कपिकों दई. दिया घामला सोय ॥४५॥ अपनी पढे नहिं तोरिये. रचि रहिये करि चाहि । में तंदुल तुस सहित, तुस दिन अग नाहि ॥४॥ अति लोलुप आसक्तके, विपदा नाही दूर। मीन मरे कंटक फंस, दोरि मांस लखि कर ॥४७॥ आवत उठि आइर करे, बोले मीठे वैन । जाते हिलमिल बैठना, जिय पारे अति चैन ॥४ १ आयु-उमर २ रसोइया । ३ क्यानामले पनीने। ४ पक्षा

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