Book Title: Bharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 1
Author(s): Radheshyamdhar Dvivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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व्यक्ति और समष्टि : बौद्धदर्शन के प्ररिप्रेक्ष्य में
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व्यक्ति और समाज के अस्तित्व एवम् मूल्य में अनेक दृष्टियों से समानान्तरता है जिसका ऊपर उल्लेख किया गया है। दोनों व्यावहारिक संरचनायें हैं परन्तु दोनों में जो मूल भेद है वह यह, कि व्यक्ति प्राथमिक स्तर की संरचना है जब कि समाज गौण स्तर की। समाज को व्यक्तियों में घटित किया जा सकता है और व्यक्तियों को पुनः नाम रूपादि स्कन्धों में । परन्तु स्कन्ध का रूप भी सांघातिक होने से उन्हें पुनः ऐसे धर्मों में घटित किया जा सकता है जो असांघातिक हो । सम्भवतः सर्वास्तिवाद परम्परा में किया गया भूतों और चित्तों का उल्लेख इस विश्लेषण प्रक्रिया का अन्तिम चरण है।
परिसंवाद-२
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