Book Title: Bharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 1
Author(s): Radheshyamdhar Dvivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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बौद्धदर्शन की दृष्टि से व्यष्टि और समष्टि आयुष्मान् आनन्द को सम्बोधित करते हुए जो उन्होंने वज्जीगण के विषय में कहा था, वह आज भी गणतन्त्र राष्ट्रों के लिए एक अमूल्य उपदेश कहा जा सकता है । भगवान् ने उन्हें सात अपरिहाणीय धर्म के रूप में बतलाया था। वे सात धर्म हैं(१) निरन्तर मिलकर बैठना, (२) मिलकर कर्तव्यों को पूरा करना, (३) विधान के अनुसार कार्य करना, (४) सम्माननीयों का सम्मान करना, (५) स्त्री जाति का सम्मान करना, (६) धार्मिक कृत्यों का पालन करना, (७) ज्ञानियों और धर्मवृद्धों की रक्षा करना।
महापरिनिब्बानसुत्त में ऐसे अनेक उपदेश उपलब्ध होते हैं जिनमें व्यक्ति तथा समाज दोनों का कल्याण निहित है। संक्षेप में, यह कहा जा सकता है कि बौद्ध धर्म और दर्शन व्यक्ति और समाज के सम्बन्धों के प्रति सदा सतर्क रहा है। उसका लक्ष्य केवल निर्वाण नहीं है, अपितु जनहित है और विश्वकल्याण है ।
परिसंवाद-२
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