Book Title: Bauddhkalin Bharat
Author(s): Janardan Bhatt
Publisher: Sahitya Ratnamala Karyalay

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Page 10
________________ प्रकाशक का निवेदन साहित्य-रन-माला का यह तीसरा ग्रंथ "बौद-कालीन भारत" पाठकों की सेवा में प्रस्तुत करते हुए मुझे बहुत सन्तोष तथा मानन्द होता है। इस सन्तोष तथा भानन्द का कारण यह है कि मैंने ग्रंथों का जो भादर्श अपने सामने रखकर साहित्य-रन-माला का प्रकाशन आरंभ किया था, यह ग्रंथ भी, पहले दोनों ग्रंथों की भाँति, उस आदर्श के अनुरूप ही हुभा है। जैसा कि पाठकों को इसके अनुशीलन से विदित होगा, इसके सुयोग्य लेखक महोदय ने इसके लिखने में प्रशंसनीय परिश्रम किया है, और अपने प्रतिपाद्य विषय से सम्बन्ध रखनेवाली बहुत अधिक सामग्री का अच्छा उपयोग किया है। बौद-कालीन भारत के संबंध की प्रायः सभी उपयोगी और ज्ञातव्य बातों का इसमें समावेश हुआ है. करीब करीब सभी बातें इसमें आ गई हैं। ____ यह ग्रंथ आज से प्रायः तीन साढ़े तीन वर्ष पहले लिखा गया था; पर दुःख के साथ कहना पड़ता है कि इतने दिनों में ऐसे अच्छे ग्रंथ को प्रकाशित करने के लिये कोई प्रकाशक ही न मिला। हिन्दी के प्रकाशकों भौर पाठकों के लिये यह एक प्रकार से लजा की ही बात है। मैं स्वयं अपने अनुभव से कह सकता हूँ कि हिन्दी में अच्छे ग्रंथों का उतना अधिक आदर नहीं होता, जितना होना चाहिए। पर साहित्य-रब-माला भार्थिक लाभ की दृष्टि से नहीं निकाली गई है । और इसी लिये जब यह ग्रंथ मेरे सामने आया, तब मैं तुरन्त ही इसे प्रकाशित करने के लिये तैयार हो गया । यद्यपि मुझे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और इस ग्रंथ की भाषा आदि ठीक करने में बहुत कुछ परिश्रम भी करना पड़ा, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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