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बात बात में बोध
की व्याख्या सुनकर उन्होंने कहा-"जैन धर्म तो परम वैज्ञानिक है।" उन्होंने जैन दर्शन को पढने की उत्सुकता प्रकट की। प्रोफेसर महोदय ! अब तो आपको संतोष हो गया होगा कि जैन
धर्म सत्य पर आधारित है और उसके सिद्धान्त विज्ञान से सम्मत हैं। ओमप्रकाश-सुनिवर ! जैन धर्म के सिद्धांतों की इस रूप में व्याख्या सुनकर
मैं परम प्रसन्न हूँ। अब मैं अपने मित्रो के बीच दावे के साथ कहूँगा कि जैन धर्म परम वैज्ञानिक धर्म है। उनके मीठे तानों को सुनकर मैं मौन नहीं रहूँगा। मेरी जिज्ञासाओं का शमन कर आपने मेरे पर
असीम उपकार किया है। मुनिवर-उपकार नहीं, मैंने अपने कर्तव्य की पूर्ति की है। आप जैसे सुपात्र
और ज्ञान के ग्राहक व्यक्ति को इतना समय देकर मैं स्वयं आत्मतोष
का अनुभव कर रहा हूँ। ओमप्रकाश-यह तो आपकी उदारता है जिसे मैं कभी भुला नहीं सकता। मुनिवर-आप जैसे पढ़े-लिखे व्यक्ति अगर जैन दर्शन व योग से सम्बन्धी
साहित्य का अध्ययन करें तो आपको और भी नई जानकारियां होंगी। ज्ञान तो समन्दर है इसमें जितने गहरे उतरेंगे उतने ही कीमती रत्न आपको हासिल होंगे। न केवल स्वयं का अपितु दूसरों
का भी आप हित साध सकेगे। ओमप्रकाश-मैं आपके अनमोल वचनों को शिरोधार्य करता हूँ।
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