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पुनर्जन्म
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किये हैं। उसने बताया - " जन्म से पूर्व हर बच्चे में स्मृति होती है। किन्तु जन्म के समय इतनी भयंकर यातना से उसे गुजरना पड़ता है कि उसकी सारी स्मृति नष्ट हो जाती है। नई दुनिया में प्रवेश करते ही उसकी अतीत की सभी स्मृतियां विलुप्त हो जाती हैं
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महेन्द्र -- माना कि पूर्वजन्म की स्मृति होती है पर सबको नहीं, ऐसी स्थिति में क्या ऐसे भी लक्षण हैं जो पूर्वजन्म की यथार्थता को साबित करते हैं !
मुनिराज - कुछ स्थितियां तो हमारे सामने स्पष्ट ही हैं उनको नकार ही नहीं सकते । पहला प्रमाण हैं— प्रेम और घृणा के संस्कार । एक अपरिचित व्यक्ति को देखकर मन में सहज ही प्रेम और राग के संस्कार उमड़ते हैं. दूसरे को देखकर मन में घृणा और द्वेष के भाव पैदा होते हैं । हमको यह अनायास घटित हुआ लगता है पर इसके पीछे भी पूर्वजन्म के सम्बन्धों की लम्बी परम्परा है। ये सब घटनायें इस बात की सूचक है कि अमुक व्यक्ति के साथ किसी जन्म में प्रेम और मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध रहे है, अमुक के साथ दुश्मनी के सम्बन्ध रहे हैं ।
महेन्द्र--क्या इस तरह की कोई प्रामाणिक घटना भी प्रकाश में आयी हैं ? मुनिराज - इस प्रकार की अनेक घटनाएँ विद्वानों के लेखों व पुस्तकों में उपलब्ध होती हैं ।
डॉ० इयान स्टीवनसन ने अपनी पुस्तक “ट्वन्टी केसेज सजेस्टिव ऑफ रीइनकारनेशन्स” में एक घटना का उल्लेख किया है । कन्नौज ( उत्तर प्रदेश ) का एक लड़का जिसका नाम अशोक कुमार था । ६ वर्ष की उम्र में उसकी दो व्यक्तियों ने मिलकर हत्या कर दी थी । वही लड़का उसी जिले के एक गांव में बाबूराम गुप्ता के घर रविशंकर के रूप में जन्म लेता है। उसने चार वर्ष की उम्र में अपने पूर्व जन्म के माता-पिता के बारे में बताना शुरू कर दिया। अपनी मृत्यु के बारे में भी उसने बताया कि उसकी हत्या किस कारण हुई। हत्यारों के नाम भी उसने बताये । सारी बात की खोजबीन की गई तो सही निकली । एक बार अनायास दो हत्यारों में से किसी एक को उसने देख लिया. । देखते ही वह थर-थर कांपने लगा, यह सोचकर कि मैंने इसके नाम को प्रकट कर दिया तो इसके मन में निश्चित ही मेरे प्रति आक्रोश होगा और मुझे फिर मार देगा। साथ ही साथ उसको गुस्सा भी आया कि मैं अगर शक्तिशाली होता तो मेरी हत्या का इससे बदला
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