Book Title: Bat Bat me Bodh
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 177
________________ बात-बात में बोध आनंद-सर, आपकी वाणी में अद्भुत जादू है। आपकी युक्तिपूर्ण बातों ने हमारे हृदय को छू लिया है। अब हमारे पास कहने को कुछ भी नहीं रहा। नन्द-हमारे मन के सब प्रश्न समाहित हो गए। सचमुच आपके विचार बहुत ऊँचे है। मनोहर-अब तो ट्यूर में साथ चलते हुए तुम दोनों को कोई झिझक आनंद-आपने हमारी भीतरी प्रथियों को खोल दिया। हमारे चिन्तन की ___ दरिद्रता को दूर कर दिया। अब हमको उनके साथ ट्यूर में जाते कोई दिक्कत नहीं है। नन्द-आपने हमें सही मार्ग दर्शन देकर कृतार्थ किया। हम आपके प्रति बहुत-बहुत कृतज्ञ है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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