Book Title: Bat Bat me Bodh
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 166
________________ निक्षेपवाद १५३ महावीर-आपने तो बात-बात में एक महान सिद्धांत से हमको परिचित ___ करा दिया। अर्हतकुमार-रमेश ! तुम इस सिद्धांत को समझे या नहीं ? रमेश-श्रीमान् ! अब कोई भांति नहीं रही है । महावीर-(मुस्कुराते हुए) क्यों मित्र ! वे गीत मेरे ही गाये जा रहे थे न ? रमेश-नहीं, नहीं, अब ऐसी बात कहकर मैं अपना अज्ञान प्रकट करना ___ नहीं चाहता। महावीर-अहंतकुमारजी! आपने समय पर पधार कर हमें सही तथ्य को समझने की नई दृष्टि दी, आपका बहुत-बहुत आभार ! (रमेश, महावीर दोनों अह तकुमारजी को प्रणाम करते हैं !) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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