Book Title: Bat Bat me Bodh
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 93
________________ बात-बात में बोध को यन्त्रों से देखा नहीं जा सकता, ज्ञान नेत्र के द्वारा ही अनुभव किया जा सकता है। राजेश-आत्मा को यन्त्रों से नहीं देखा जा सकता पर कुछ लक्षण तो होंगे जिससे आत्मा की हमको प्रतीति हो सके । रमेश-कई बार ऐसा होता है, हम किसी वस्तु को प्रत्यक्ष नहीं देखते हैं किन्तु बाह्य लक्षणों से उसका होना निश्चित कर लेते हैं। जैसे-आकाश में धुंआ देखकर अग्नि का निश्चय कर लेते हैं। भौंहरे में बेठा आदमी रोशनदान से बाहरी उजाले को देखकर अनदेखे सूर्य का ज्ञान कर लेता है। वैसे ही कुछ लक्षणों से हमें आत्मा की निश्चित प्रतीति हो जाती है। पहला लक्षण -मैं सुखी हूं या दुःखी हूं, इस तरह का अनुभव आत्मा को ही हो सकता है, शरीर को नहीं । दूसरा लक्षणसुख की प्राप्ति और दुःख की निवृत्ति के लिए प्रयास करना। तीसरा लक्षण-चलना, खाना, देखना, संघना आदि शरीर की क्रियाएं, ये सब आत्मा के अस्तित्व को उजागर करती है । सुरेश-पर ये सब काम तो इन्द्रियों व हाथ, पैरों द्वारा सम्पन्न होते हैं, आत्मा को बीच में लाना क्या जरूरी है ? रमेश-कितनी अधूरी समझ है। जैसे-स्वीच ऑन करने मात्र से बल्ब नहीं जल जाता है अगर पावर हाउस से बिजली का संचार न होता हो । वैसे ही हाथ, पांव, इन्द्रियां कुछ भी काम नहीं कर सकती अगर शरीर में चेतना का संचरण न हो। ये इन्द्रियां, हाथ और पैर तो साधन मात्र है। अगर संचालक आत्मा नहीं है तो ये सब निष्क्रिय हो जाते हैं। मृत व्यक्ति के हाथ, पर भी क्या कोई प्रयोजन साध सकते हैं। सरेश-यह तो खैर सच है कि जीवित व्यक्ति में ही ये क्रियाएं दृष्टिगत होती हैं, मृत में नहीं। रमेश-अब आगे सुनो, आत्मा का चौथा लक्षण है-ग्रहण किये हुए पदार्थों की चिरकाल तक स्मृति बनाए रखना। पांचवां लक्षण है-निर्णय देने की क्षमता । छठा लक्षण है-हंसना, रोना, खेलना आदि क्रियाओं का सम्पादन। राजेश-पर ये सब कार्य तो कम्प्यूटर और रोबोट भी आदमी से ज्यादा बेहतर कर सकते हैं। बल्कि कहना चाहिए आदमी इनकी क्षमता के सामने पिछड़ गया है। आदमी से भूल हो सकती है पर कम्प्यूटर कभी भूल नहीं करता। आदमी गलत निर्णय दे सकता है पर एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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