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आत्मवाद
कम्प्यूटर ऐसा नहीं कर सकता। रोबोट मनुष्य की तरह सब क्रियायें करता है । झाडू लगाना, भोजन पकाना, परोसना आदि कामों में रोबोट का आश्चर्यकारी उपयोग है। अब तो युद्ध-क्षेत्र में सैनिकों का कार्यभार भी रोबोट संभालनेवाला है। इन सब लक्षणों से क्या कम्प्यूटर और रोबोट की तरह आत्मा में अजीवत्व सिद्ध नहीं
हो जाता। रमेश-नहीं, नहीं। कम्प्यूटर और रोबोट तो यन्त्र हैं, मनुष्य के द्वारा
संचालित है। आत्मा चैतन्यमय है, कोई मशीन इसका संचालन नहीं करती है। अगर यन्त्र में कहीं कोई खराबी हो जाये तो कम्प्यूटर गलत निर्णय भी दे सकता है। एक बार एक अमरीकी कम्प्यूटर ने खराबी के कारण विश्वयुद्ध की घोषणा कर दी थी। तत्काल भूल को जान लिया गया नहीं तो इसका भारी दुष्परिणाम भी हो सकता था। एक वैज्ञानिक कहानी पढ़ी है। कहते हैं कि एक विज्ञान का विद्यार्थी था। उसके मन में रोबोट बनाने की धुन सवार हो गई। रोबोट पुरा तैयार हो गया। परीक्षण के लिए उसने बटन दबाया । तत्काल रोबोट तीव्र मति से चल पड़ा। चलने के साथ ही उसके हाथ भी ऊपर-नीचे हो रहे थे। अब जो भी उसके सामने आता, उसके शरीर पर वह चोट करता । उसको रोक पाना प्रयोगकर्ता विद्यार्थी के भी वश की बात नहीं थी। विद्यार्थी चिल्लाया-अरे, इसके सिर पर बटन है, उसे कोई दबाओ, नहीं तो यह वश में नहीं आने वाला है। जैसे-तैसे ऊपर चढ़कर किसी ने उसका बटन दबाया तब वह रुका । कम्प्यूटर और रोबोट बहुत सारा मनुष्य का काम करते हैं पर वे स्वप्रेरित नहीं हैं, परप्रेरित हैं। बिना मानव के प्रयोग किये ये कोई प्रवृत्ति नहीं कर सकते । इसी तरह जिस मशीन का जो कार्य निश्चित है वह वही काम कर सकती है, मनुष्य की तरह वह इच्छानुसार काम नहीं कर सकती है। ये मशीनें विद्यत शक्ति या बेटरी प्रणाली के द्वारा काम करती है पर आत्मा अपनी चेतन्य शक्ति के द्वारा ही काम करती है। शक्ति का स्रोत बन्द होते ही कम्प्यूटर का काम एक जाता है। इन सब कारणों से कम्प्यूटर और रोबोट से आत्मा की तुलना नहीं की जा सकती, न उसमें अजीवत्व भी सिद्ध किया जा सकता है। आत्मा का सातवां लक्षण है-सजातीय की उत्पति। संसार के समस्त
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