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नौ तत्त्व, षड्द्रव्य कमल-आपने संक्षेप में नव तत्त्व पर विवेचन कर हमारे पर महती कृपा की। विमल-नव तत्त्व की विवेचना सुनकर धर्म के प्रति हमारी आस्था बढ़ी है,
__ स्वाध्याय की रुचि जगी है। मुनिराज-इस रुचि को तुम और बढ़ाते रहना। जैसे-जैसे तुम गहराई में
उतरोगे, वैसे-वैसे तुमको ज्ञान का अपूर्व खजाना उपलब्ध होगा। ठीक ही तो कहा है-किनारे पर खड़े रहने वाले को शंख और सीपियां ही मिलती हैं, अनमोल रत्न तो समुद्र के अतल में उतरने वालों को ही हस्तगत होते हैं।
(दोनों वंदन कर घर की राह लेते हैं । )
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