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7. मडम डमडन्तु
पहरन्त तरुवर-रिउ-मड-थड
(झड झड झड झड) वकृ 1/1
झपट मारते हुए (पहर→पहरन्त→पहरन्तअ)वकृ 1/1 'अ' स्वा. प्रहार करते हुए [(तरु)-(वर)वि-(रिउ)-(भड)-(थड) श्रेष्ठ वृक्षोंरूपी, शत्रु के, योद्धा, 2/1]
समूह को . (भज्ज→भज्जन्त→भज्जन्तअ)वकृ 1/1 'अ' स्वा. नष्ट करते हुए
मज्जन्तउ
मेह-महागय-घड
विहडन्तउ
[(मेह)-(महा) वि-(गय)-(घडा) 2/1] मेघरूपी, महा-हाथियों को,
टोली को (विहड--विहडन्त→विहडन्तअ)वकृ 1/1 'अ' स्वा. खण्डित करते हुए अव्यय
जब (उण्हालअ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक
ग्रीष्मऋतु (दिट्ठ) भूकृ 1/1 अनि
दिखाई दी (भिड→भिडन्त,भिडन्तअ)वकृ 1/1 'अ' स्वा. भिड़ती हई
उण्हालउ दिठ्ठ भिडन्तउ
घणु अष्फालिउ पाउसेण तडि-रंकार-फार दरिसन्तें चोएवि जलहर-हत्यि
(धणु) 1/1
धनुष [(अप्फल)(प्रे)→अप्फाल→(अप्फालिअ)भूव 1/1]ताना गया (वृद्धि प्राप्त) (पाउस) 3/1
पावस के द्वारा [(तडि)-(टङ्कार)-(फार) 2/1] बिजली की, टङ्कार और चमक (दरिस→दरिसन्त) वकृ 3/1
दिखाते हुए (चोअ+एवि) संक
प्रेरित करके [(जलहर)-(हत्थि )
बादलरूपी हाथी(हड) 2/2 वि]
घटा को [(णीर)-(सरासण (स्त्री)->सरासणी) 1/2] जलरूपी तीर (मुक्क) भूक 1/2 अनि
छोड़े गये अव्यय
तुरन्त
जीर-सरासणि
तुरन्तें
28.3
1. जल-वाणासणि पायहिं
जलरूपी, तीरों के, प्रहारों से
धाइन गिम्भ-गराहिउ
[(जल)-(वाणासण (स्त्री)→वाणासणी, वाणासणि1)-(घाय) 3/2] (घाय=धाम→धाइअ) भूकृ 1/1 [(गिम्भ)-(णराहिल) 1/1] (रण) 7/1 (विणिवाइअ) भूकृ 1/1 अनि
चोट पहुंचाया हुआ ग्रीष्मराजा युद्ध में गिरा दिया गया
रणे
विणिवाइउ
2. बद्दुर
(ददुर) 1/2
1. समास में रहे हुए स्वर परस्पर में अक्सर ह्रस्व के स्थान पर दीर्घ और दीर्घ के स्थान पर हस्व हो जाया
करते हैं (हे. प्रा. व्या. 1-4) ।
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। अपभ्रंश काव्य सौरभ
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