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वि
मुण्डियां
जसु
अव्यय (मुण्ड--→मुण्डिय→मुण्डियअ) भूकृ I/I 'अ' स्वा. मुंडा हाल (ज) 6/1 स.
जिसका (खल्लिहड-अ)2 1/1 वि 'अ' स्वाथिक मंजा (सीस) 1/I
सिर
खल्लिहडउ
सीसु
बह उतना (इतना
12. त
तेत्तिउ जलु सायरहो
बल
सागर का
सो
तेवडु वित्थारु तिसहे निवारण
(त) I/ सवि (नेत्तिा ) 1/1 वि (जल) 1/1 (सायर) 6/I (त) 1/1 सवि (तेवड) 1/1 सवि (वित्थार) 1/1 सकि (तिसा) 6/1 (निवारण) 1/ (पल) 1/1 अव्यय अव्यय अव्यय (धुठ्ठअ) व 3/1 अक (असार) 1/1कि
बह उतना (इतना विस्तार ध्यासका निवारण जरा सा
बल
भी
वि
नवि
नहीं
किन्तु आवाज करता रहता है निरर्थक
धुमइ. असार
13. किस
निश्चय ही खाता है
खाइ
पिअइ
अव्यय (खा) व 3/1 सक अव्यय (पिअ) व 3/1 सक अव्यय (विद्दव) व 3/1 सक (धम्म) 7/1 अव्यय (वेच्च) व 3/1 सक (रुअ+अडअ)32/1 'अडअ' स्वाथिक अव्यय (किवण) 1/1वि अव्यय
पीता है नहीं भापता है (घूमता हैं) धर्म में
बिद्दवह धम्मि
नहीं
ने
वेच्चइ
म्यय करता है रुपये को
किवणु
कंजूस, कृपण महीं
1. अनुस्वार का आगम ।
2. खल्लिहड-गंजा।
3. रूअअअडअरूअअडअ-रूअडअरुपया ।
1701
[ अपभ्रंश काव्य सौरभ
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