Book Title: Apbhramsa Kavya Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 344
________________ हैं। सभी कुमारगरण कहते हैं कि अधीन (सेवक) रहनेवाला व्यक्ति कितना ही गुरणी क्यों न हो सब बेकार है । 16.9 सभी कुमारगण मनुष्य जन्म को दुर्लभ बताते हैं और इस अमूल्य जीवन को दासता में रहकर नष्ट नहीं करना चाहते। उनका मानना है कि भोगों में लिप्त रहकर अपने समस्त जीवन को नष्ट करनेवाले मनुष्य के समान हीन कोई नहीं । अपभ्रंश काव्य सौरभ ] Jain Education International For Private & Personal Use Only [ 31 www.jainelibrary.org

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