________________
कमलसंडु
[(कमल)-(संड) 1/1]
कमलों का समूह
दोवंतरे विविहभंडु
(सुलहअ) 1/1 वि 'अ' स्थाथिक
सुप्राप्य [(दीव)+ (अंतरे)] [(दीव)-(अंतर) 7/1] द्वीपों के अन्दर [(विविह)-(भंड) 1/1]
नाना प्रकार की व्यापारिक
वस्तुएं (सुलहअ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक
सुलभ (पाहाण) 7/1
पत्थर में [(हिरण्ण)-(खंड) 1/1]
सोने का अंश
पाहाणे हिरण्णखंड
5. सुलहउ
मलयायले सुरहिवाउ सुलहउ गयणंगरणे उडुणिहाउ
(सुलहा) 1/1 वि 'अ' स्वाथिक
स्वाभाविक [(मलय)+ (अयले)][(मलय)-(अयल)17/1] मलय पर्वत से [(सुरहि) वि-(वाउ) 6/1]
सुगन्धयुक्त वायु का (सुलहअ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक
स्वाभाविक (गयणंगण) 7/1
व्यापक प्राकाश में [(उडु)-(णिहाअ) 1/1]
तारों का समूह
सुलहन पहुपेसणे कए पसाउ सुलह ईसासे जणे कसाउ
(सुलहअ) 1/1 वि 'अ' स्वाथिक [(पहु)-(पेसण) 7/1] (कअ) भूक 7/1 अनि (पसाअ) 1/1 (सुलहअ) 1/1 वि 'अ' स्वाथिक (ईसा-स) 7/1 वि (जण) 7/1 (कसाअ) 1/1
प्रासान स्वामी का प्रयोजन पूर्ण किया गया होने पर पुरस्कार स्वाभाविक ईायुक्त व्यक्ति में कषाय
(सुलहा) 1/1 वि 'अ' स्वाथिक (रविकतमणि) 3/
आसानी से प्राप्त (है) सूर्यकान्त मणियों द्वारा
7. सुलहउ
रविकंतमरिणहि→ रविकतमरिणहि हुयासु सुलहउ वरलक्खणे पयसमासु
(हुयास) 1/1 (सुलहअ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक [(वर)-(लक्खण) 7/1] [(पय)-(समास) 1/1]
अग्नि सुलभ उत्तम व्याकरण शास्त्र में पदों में समास
8. सुलहन
(सुलहर) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक
सुलभ
1. कभी-कभी पंचमी विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है (हे.प्रा.व्या. 3-136) ।
अपभ्रंश काव्य सौरभ ]
।
125
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org