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पुत्तय हियई बुज्झु
(पुत्त) 8/1 'अ' स्वार्थिक (हियअ) 7/1 (बुज्झ) विधि 2/1 सक
हे पुत्र हृदय में समझ
करकंडु जणाविउ खयर हियबुद्धिएं
सयलउ
कलउ
LIETU: rhaill
इय णित्तिएँ जो णरु ववहरइ
(करकंड) 1/1
करकंड (जण+आवि-जणावि→जणाविअ)प्रे. भूकृ 1/1 सिखाया गया, समझाया गया (खेयर) 7/1
खेचर के द्वारा [(हिय) वि-(बुद्धि) 3/1] .
हितकारी बुद्धि से (सयल→(स्त्री) सयला) 1/2 वि
समस्त (कला) 1/2
कलाएं (इम→इअ→इय) 6/1 स
इसकी (णित्ति) 3/1
नीति से (ज) 1/1 सवि
जो (णर) 1/1
मनुष्य (ववहर) व 3/1 सक
व्यवहार करता है (त) 1/1 सवि (भुंज) व 3/1 सक
उपभोग करता है क्रिवि
अवश्य ही (भू-वलअ) 2/1
भू-मण्डल को
वह
भंजइ रिणच्छत भवलउ
ननीया विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है (हे.प्रा.व्या.3-135)।
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। अपभ्रंश काव्य सौरम
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