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मरटु
अहंकार
नहीं
फिट्टइ वल्लहे
(मट्ट) 1/1 अव्यय (फिट्ट) व 3/1 अक (वल्ल ह)7/1 (चित्त) 1/1 (बहुट्ट) I/I वि
विचलित होता है प्रेमी में मन लगा हमा
बहुट्ट
6.
न
महाकरिह
अव्यय (फिट्ट) व 3/1 अक (विंझ)1 7/1 [(महा) वि-(करि)-(जूह) 1/1] अव्यय (फिट्ट) व 3/1 अक (सासअ)1711 [(सिद्ध)-(समूह) 1/1]
नहीं नीचे प्राता है विन्ध्य पर्वत से महान हाथियों का समूह नहीं रहित होता है शाश्वत से सिद्धों का समूह
फिट्टा सासए सिद्धसमूह
फिट्टए पाविहे पावकलंकु
नहीं छूटता है पापी से पाप का कलंक
अव्यय (फिट्ट) व 3/1 अक (पावि) 5/1 [(पाव)-(कलंक) 1/1] अव्यय (फिट्ट) व 3/1 अक [(कामुय)-(चित्त)17/1] (झसंक) 1/1
फिट्टए कामचिरते मसंकु
हटता है कामुक चिसो कामदेव
8.
ण किट्टए प्रायहे जो असमाह सुछंदु
अव्यय (फिट्ट) व 3/1 अक (आय)17/1 (ज) 1/1 सवि (असयाह) 1/1 (सुछंद) 1/1 अव्यय (मोत्तियदामअ) 1/1 'अ' स्वाधिक (एअ) 1/1 सवि
नहीं हटता है (हटेया) मन से आहे कदासह छंब
दि
मोतियवामन
मौक्तिकदाम
9.
ग्रहवा
अव्यय अध्यय
जहां
1. कभी-कभी पंचमी विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है (हे.प्रा.व्या. 3-136) ।
अपभ्रंस काव्य सौरम ]
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