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कमलिरिणदले गाव
कमलिनी के पत्ते पर की तरह
जलु
सिप्पिउडए णिविडए ठिउ सहइ
[(कमलिणि)-(दल) 7/1] अव्यय (जल) 1/1 [ (सिप्पि)-(उडअ) 7/1 'अ' स्वार्थिक] (णिविडअ) 7/1 वि 'अ' स्वार्थिक (लिअ) भूकृ 11 अनि (सह) व 3/1 अक अव्यय (णितुल्ल) 1/1 वि (मुत्ताहल) 1/1
सिप्पिदल में सघन स्थित शोभता है(शोभायमान हुआ) की तरह असाधारण मोती
णितुल्लु मुत्ताहलु
3.5
1. तेण
पुत्ते
जणु
(त) 3/1 सवि (पुत्त) 3/1 (जण) 1/1 (तुट्ठ) भूकृ 1/1 अनि (ख) 7/1 (महंत) 3/2 वि (मेह) 3/2 (जल) 1/1 (वुट्ठ) भूक 1/1 अनि
उस पुत्र से मनुष्य वर्ग सन्तुष्ट हुमा आकाश में घने बादलों द्वारा जल बरसाया गया
महंतेहिं मेहेहिं
जलु
वुट्ठ
2. दुट्ठपाविट्ठपोरत्थगण
तठ्ठ
[(दुट्ठ) वि-(पाविट्ठ) वि-(पोरत्थ) वि-(गण) दुष्ट, अत्यन्त पापी, ईर्ष्यालु 1/1]
वर्ग (समूह) (तट्ठ) भूकृ 1/1 अनि
डर गया (णंदि) 1/1 (आणंद-→(स्त्री) आणंदी) 1/1
आनन्द (देव) 3/2
देवताओं द्वारा (णह) 7/1
प्राकाश में (धुढ) भूकृ 1/1 अनि
घोषित किया गया
पाणंदि देवेहि गहे
घुटु
3. दुंदुहीघोसु
कयतोसु
[(दुदुही)-(घोस) 1/1] [I (कय) भूक अनि -(तोस) 1/1] वि]
धुंदुभी-घोष दिया गया, (किया गया) सन्तोष उत्पन्न हुआ दिव्य फूलों को (फूल) खिले हुए
(हुअ) भूकृ 1/1 (दिव्व) 1/1 वि (फुल्ल) 2/2 (पप्फुल्ल) भूकृ2/2 अनि
दिव्वु
पप्फुल्ल
अपभ्रंश काव्य सौरभ ]
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